भारत में ऐतिहासिक शिक्षा का अधिकार क़ानून गुरुवार से लागू हो रहा है. इसके तहत आठवीं कक्षा तक मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है.
अनिवार्य शिक्षा अधिकार विधेयक पिछले साल संसद से पारित हो गया था और इसे राष्ट्रपति की मंज़ूरी भी मिल चुकी है.
इसके तहत छह से चौदह साल तक के सभी बच्चों को शिक्षा मुहैया कराना संवैधानिक अधिकार बना दिया गया है.
इससे भारत के आठ करोड़ से ज़्यादा बच्चों को फायदा होने की उम्मीद है और यह प्राथमिक शिक्षा के प्रसार में मील का पत्थर साबित हो सकती है.
इस क़ानून में शिक्षा की गुणवत्ता, सामाजिक दायित्व, निजी स्कूलों में आरक्षण और स्कूलों में बच्चों के प्रवेश को नौकरशाही से मुक्त कराने का प्रावधान भी शामिल है.
इस क़ानून के लागू होने के बाद कोई निर्धारित उम्र सीमा के भीतर अगर किसी बच्चे को शिक्षा का अवसर नहीं मिलता है, तो इसे सुनिश्चित करना सरकार की ज़िम्मेदारी होगी.
कोई भी अभिभावक अपने बच्चे को मुफ़्त शिक्षा दिलाने के लिए अदालत तक का दरवाज़ा खटखटा सकता है.
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