बाबरी मस्जिद को गिराने वालों में जैन राक्षसों का क्या काम था कभी न तो किसी हिंदू ने सवाल करा न ही किसी मुसलमान ने। आप सब जानते हैं कि जैन हिंदू नहीं होते हैं वे मूर्तिपूजक होते हैं लेकिन वेदों को नहीं मानते उनके अपने नग्न देवी-देवता हैं(दुनिया में शायद ही कोई सभ्यता नग्नता को उपास्य बताती हो लेकिन इन लोगों ने हिन्दुओं में भी मूर्तिपूजा,लिंगपूजा आदि घुसा दिया,इनके राक्षस साधुओं के वेश में अनेक सम्प्रदाय बना कर हिन्दू बने बैठे रहे जिससे कि वेदों को मानने वाले निराकार ब्रह्म के उपासक भी नग्नता से जुड़े माने जाएं और इनको सम्बल मिले) मुस्लिम लोग इन्हें हिंदू ही मानते हैं ये उनका भ्रम है। अब देखिये कि किस तरह इन राक्षसों ने बाबरी मस्जिद के टूटने के प्रकरण में अपना राक्षसी कार्य करा है। आप सब जानते हैं कि कारसेवकों में दो कोठारी बन्धु थे जो कि मारे गए, बाबरी मस्जिद के टूटने के बारे में यदि सत्य विवरण जानना है तो उस समय अयोध्या में तैनात एस.एस.पी. श्री देवेन्द्र बहादुर राय की लिखी पुस्तक पढ़ें( अयोध्या-६ दिसम्बर का सत्य, प्रकाशक- सामयिक प्रकाशन नई दिल्ली ११०००२)। पुस्तक के लेखक लिखते हैं कि कारसेवा सामान्य तरीके से प्रतीकात्मक हो रही थी तभी कुछ उपद्रवी लोगों ने बैरीकेड तोड़ कर विवादित स्थल पर तोड़फोड़ शुरू कर दी। हम दावे के साथ कह सकते हैं कि ये उपद्रवी कोई और नहीमं बल्कि कारसेवकों के बीच में रामभक्त बन कर घुसे राक्षस ही थे जिनमेम से दो राक्षस कोठारी बंधु(जैन) मारे गये लेकिन इन राक्षसों ने आत्मघाती तरीका अपना कर भारत के निर्मल लोकतांत्रिक चेहरे पर कलंक लगा दिया बाबरी मस्जिद को तुड़वा कर। अब ये समस्या कभी नहीं सुलझेगी और राक्षसों का मनोरथ पूरा हो गया है हिन्दू-मुसलमानों मे बीच जो दूरी अंग्रेजों ने लायी थी उसे शायद समय मिटा देता लेकिन ये राक्षसी घाव कभी नहीं भरेगा। आप लोग हिन्दू धार्मिक कार्यों में जैनों की मौजूदगी को क्यों नहीं समझते???????
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
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