गृह मंत्रालय के विभाग को अलग करो :- चिदंबरम

 गृहमंत्री ने कहा कि आतंकवादी हमलों से देश की रक्षा करने और ऐसे हमले के जिम्मेदार लोगों को जवाब देने के लिए एक संगठन बनाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि इस साल के दौरान 12 से 13 मौकों पर सुरक्षा बलों ने समय रहते आतंकियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया, नहीं तो दिल्ली, मुंबई या जयपुर जैसे हादसे हो सकते थे. इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक समारोह में व्याख्यान देते हुए चिदंबरम ने कहा कि मुंबई हमले के बाद देश के एक अरब से ज्यादा लोगों को लगा कि आतंकवादियों के एक छोटे गिरोह ने देश को घुटनों पर ला दिया है. सुरक्षा बंदोबस्त अस्त-व्यस्त हो गए थे



उन्होंने आंतरिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की घोषणा की और कहा कि देश में किसी भी आतंकवाद से निपटने के लिए अगले साल के अंत तक नैशनल काउंटर टेररिज़्म सेंटर (एनसीटीसी) की स्थापना की जाएगी. चिदंबरम ने कहा कि इस समय भारत में ऐसा कोई संगठन नहीं है जो आतंकवाद का मुक़ाबला कर सके. उन्होंने अपने अमेरिकी दौरे का उल्लेख किया, "मुझे बताया गया है कि अमेरिका ने 2001 के हमले के 36 महीनों के अंदर इस तरह का सेंटर तैयार कर लिया गया था लेकिन भारत 36 महीनों तक इंतजार करने की स्थिति में नहीं है. उसे हर हाल में 2010 के अंत तक इस तरह का सेंटर स्थापित करना ही होगा."


एनसीटीसी को देश और जनता के खिलाफ किसी भी तरह के आतंकवाद से निपटने के लिए व्यापक अधिकार दिए जाएंगे. वह पूर्वोत्तर की अलगाववादी हिंसा से लेकर माओवादी हिंसा और धार्मिक उन्मादी समूह की हिंसा से निबटने के लिए ज़िम्मेदार होगा. एनसीटीसी इनके खिलाफ खुफिया जानकारी इकट्ठी करेगा, जांच करेगा और अभियान भी चलाएगा.



एनसीटीसी के गठन के साथ ही कुछ वर्तमान एजेंसियों के दायित्व भी उसे सौंपे जाएंगे. गृहमंत्री चिदंबरम ने अफसरों से अपील की कि इसकी परिणति आपसी लड़ाई में नहीं होनी चाहिए. नैशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी के अलावा एनएसजी, एनसीआरपी, जेआईसी और एनटीआरओ को भी एनसीटीसी के अधीन लाया जाएगा. चिदंबरम ने कहा कि रक्षा और गृह मंत्रालय की इंटेलिजेंस एजेंसियां उनके अधीन काम करती रहेंगी, लेकिन उनके प्रतिनिधि भी एनसीटीसी में रहेंगे.



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