जिंगल वेल जिंगल वेल...से ही मेल खाता गाना थ्री इडियट्ïस फिल्म में भी है जो आज की कर्णप्रिय मानी जाने वाली धुन में सुबह से ही कानों में रस घोल रहा है। ऑल इज वेल॥ जिंगल वेल के मौके को कैश करने का अपना इंडियन स्टाइल है। आप इसे इडियटपना कहें तो अपनी समझ से, मगर है यह शुद्ध मार्केटिंग। 100 करोड़ से भी ज्यादा आबादी वाले देश में 5 करोड़ से भी कम ईसाई धर्म के अनुयायी रहते हैं। मगर, अनेकता में एकता और सर्वधर्म समभाव की हमारी संस्कृति का ही कमाल है कि आज करोड़ों लोग एक दूसरे को हैप्पी क्रिसमस की मुबारकबाद दे रहे हैं। सुबह से तांता लगा है, ऐसे मित्र जो साल में बस त्यौहारों के दिन एक मोबाइल मैसेज़ के रुप में प्रकट होते हैं और कहीं और से रीसीव मैसेज को फारवर्ड करके अपने प्यार का इज़हार करते हैं। सच ही तो है कि क्रिसमस प्यार बांटने का त्यौहार है।
मगर, कुछ ऐसे भी करमजले दुनिया की इसी धरती पर विराजमान हैं, जिनके लिए न तो दिवाली की मिठाई में मिठास समझ में आती है और न ही ईद की सेवसियों की खूश्बू। होली के रंग, बदरंग हो चुके शरीर पर कोई असर नहीं कर पाते तो क्रिसमस की क्रीम इन्हें नहीं सुहाती। ये कुछ ऐसे प्राणी हैं जिनके अपने अनडेटेड त्यौहार होते हैं, जो पेट भर खाना खा लेने और थोड़ी देर के लिए अंतरात्मा खुश होने के बाद अचानक ही मन जाया करते हैं।
खैर, जो हैं सो हैं अपनी बला से। हम तो ठस के क्रिसमस मनाने का मूड बना चुके हैं। वैसे भी आज की मंहगार्ई में ठसक ढीली हो गयी है और माथे की सलवटों में इज़ाफा हो चुका है। फिर भी क्रिसमस है, चारों तरफ टीवी में ,अखबार में , इंटरनेट पर रंग-बिरंगी लाइटें सज रही हैं। मुबारकबाद की झडिय़ां लगी हैं और महफिलों का दौर चल रहा है। तो इंसान हैं यार! मन बहक जाता है, इच्छा पैदा हो जाती है, महसूस होता है थोड़ा हम भी मना ही लेते हैं। जो होगा देखा जाएगा, कल के बारे में सोचकर आज ही क्यों मरें? सब प्रभु की माया है सबकुछ ओके चलेगा। टेंशन नहीं लेने का, बिंदास क्रिसमस मनाने का हैप्पी क्रिसमस!
यकायक एकलौते सिंगल सीम वाला मोबाइल बज उठा, देखा तो मैसेज आया था, मोबाइल कंपनी का ही मैसेज था। बिना पूछे-मते क्रिसमस का रिंगटोन सेट करके पैसे डिडक्ट करने के बाद यह मैसेज हमारे सुपूर्द किया था। चलिए कोई बात नहीं हूजूर कुछ लोग ऐसे भी क्रिसमस मनाते हैं। जबरिया गाना सुनाकर। वैसे कमाने से याद आया...मंहगाई है फिर भी कमाने वाले धड़ल्ले से कमा रहे हैं। गंवाने वाले उसी रफ्तार से गंवा रहे हैं। भौचक होकर देखने वाले वैसे ही आंखे फाड़े देख रहे हैं। सबकुछ रुटीन वर्क की तरह चल रहा है। क्या करें त्यौहार तो साल में एक-एक दिन ही आते हैं। बाकी सबकुछ तो डेली चलता रहता है।
सॉरी सॉरी सॉरी...क्रिसमस के हैप्पी मोमेंन्ट्ïस पर मैं भी कैसी पकाऊ बातें कर रहा हूं। वैसे भी आलम यह बन रहा है कि हिन्दी में क्षमा-याचना मागूंगा तो बहुत कम लोग ही समझेंगे कि आखिर मैं मांग क्या रहा हूं? यह मेरा नहीं भाषा का प्रभाव है। क्रिसमस बस त्यौहार भर नहीं है यह भाषा के बाज़ार को पुष्ट करती है और बाज़ार हमारा भाव तय करता है। भावनाओं का खयाल रखता है। इसलिए आज क्रिसमस है, बाजार भाव डाउन चल रहें है, बंपर सेल लगी है सककुछ सस्ता-सस्ता दिख रहा है, इसलिए इस भरी मंहगार्ई में खूब बिक रहा है। जिसकी जितनी बढिय़ा बिक्री उसका उतना हैप्पी क्रिसमस। मगर, हम तो भई बिकने, बिकाने से दूर मस्तिया के क्रिसमस मनाएंगे। आखिर हम भी तो इंसान हैं यार अपनी भी कुछ ख्वाहिशें हैं, तमन्ना है और इन सबसे बढ़कर एक दिल है जो हमेशा हैप्पी रहना चाहता है। अंत में आप सबके दिल को दिल से हैप्पी क्रिसमस....
जय जय भड़ास
1 comment:
मनोज भाई आपको एक अजीब सी बात बता दूं कि ईसाइयों में एक फ़िरका ऐसा भी है जो कि छाती ठोंक कर कहता है कि २५ दिसम्बर को जीसस क्राइस्ट पैदा ही नहीं हुए थे ये तो चूतिया बनाने के धंधे हैं। अब साला हम क्या करें समझ में नहीं आता, हिन्दू बुरे, मुस्लिम बुरे,ईसाइ बुरे,जैन बुरे.... यार क्या करूं कौन सा त्योहार मनाऊं खुश रहने के लिये इसलिये मेरे लिये मैने हर दिन त्योहार मनाने का निश्चय करा है। इतने धर्म हैं धरती पर रोज ही कुछ न कुछ तो रहता ही होगा सो उसी के नाम पर खुशी का फ़ार्म भरे रहा करेंगे....
जय जय भड़ास
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