२७ दिसंबर रविवार का दिन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के साथ साथ दिल्ली और पुरे हिन्दुस्तान पर कालिख पोत गया। भारत और श्रीलंका के बीच हो रहा श्रंखला का अंतिम मुकाबला इसलिए बीच में रोक कर रद्द कर दिया गया क्यूँकी पीच खेलने लायक नहीं था और कोई भी खिलाड़ी वहां चोटिल हो सकता था।
करोडो रूपये की लगत से फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का पुनर्निर्माण करवाया गया और इसके सौन्दर्यीकरण के लिए इसमें तमाम सुविधाओं को चेपा गया कमी रह गयी तो बस इतनी कि पीच को पीछे छोड़ दिया गया। पीच जिस पर क्रिकेट का खेल होता है और इस खेल का सारा दारोमदार भी।
इस एक मैच ने भारत कि प्रतिष्ठा वैश्विक स्तर पर धुल धूसरित कर दिया कि विश्व का सर्वाधिक अमीर क्रिकेट बोर्ड एक पीच तक सही से नहीं बनवा सकता और पीछे छोड़ गया एक अनुत्तरित प्रश्न कि क्या भारतीय क्रिकेट में व्यवस्था के नाम पर अकर्मण्य राजनीतिज्ञों की जमात भरि हुई है जो अपने अपने निहित स्वार्थ के लिए किसी की भी बलि दे सकते हैं।
एक और बी सी सी आई इस पुरे प्रकरण को डी डी सी ऐ पर थोप अपना पल्ला झाड रही है वहीँ डी डी सी ए राजनितिक अखाड़ा बन गया है। बी सी सी आई के राजीव शुक्ला ने सीधे इसका दोषी दिल्ली एसोशिएशन को ठहराकर अपना पल्ला झाड़ लिया। वहीँ दिल्ली क्रिकेट एसोशिएशन ने इसका ठीकरा बलजीत सिंह और चेतन चौहान पर फोर दिया। मगर क्या इस आरोप प्रत्यारोप में दिल्ली असोसिएशन अध्यक्ष अरुण जेटली पाक साफ़ होते हैं या फिर बी सी सी आई कहीं दोषी नहीं ठहरता ?
एक और गौतम गंभीर तो दूसरी और रिकी पोंटिंग यहाँ तक की वीरेंदर सहवाग का यह कहना कि दिल्ली की पीच खेलने लायक नहीं हैं वहीँ आई सी सी का इस पर मुहर लगा देना अब तो तय है कि आगामी विश्व कप में दिल्ली मैचों की मेजबानी नहीं करेगा। दिल्ली को विश्वकप से मरहूम करने वाले अरुण जेटली कि ढिठाई तो देखिये कि यहाँ भी राजनैतिक पैंतरेबाजी से बाज नहीं आना और राजनैतिक शब्दों के बयान में लोगों को उलझा अपने को पाक साफ़ बताना। जेटली साहब आई सी सी में आपकी दखलंदाजी नहीं चलेगी और ना ही राज नैतिक दांव पेंच और अगर आई सी सी ने हमारे कोटला को काली सूची में डाला तो कोई उसे वापस नहीं ला सकता, इतना बड़ा धोखा और जेटली की ढिठाई जारी है।
आने वाले सालों में क्रिकेट विश्वकप के अलावे कामनवेल्थ गेम और क्रिकेट विश्वकप होना है, क्रिकेट के ग्रहण जेटली ने एक आयोजन पर ग्रहण लगा दिया है दूसरी और जिस तरह की राजनैतिक अकर्मण्यता में कोमनवेल्थ का कार्य चल रहा अगली बारी शीला दीक्षित की है। दिल्ली को शर्मशार कर वैश्विक स्तर पर दिल्ली की प्रतिष्ठा को गिराने में हमारे नेतागण अपनी अपनी अग्रणी भूमिका में अगुआ हैं।
कब तक कालिख पुतती रहेगी दिल्ली पर दिल्ली के ही बच्चों से ?
6 comments:
आप ने बिलकुल सहि कहा है वाकई भारतिय क्रिकेट जगत पर ग्रहण लग सकता है तथा SA Cricket Test series also Ferozeshah Kotla loses out on India-South Africa Test
Read more: http://www.gossone.com/sports-news/ferozeshah-kotla-loses-out-on-india-south-africa-test
ये राजनीतिज्ञ अपने स्वार्थ के आगे अपने देश की साख की भी नहीं सोचते !!
बेचारा खेल राजनीतिज्ञों के पंजों से नहीं छूट सकता.
इनसे और ज्यादा आशा भी नहीं...
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
rajaniti aur bhrashtachar ek doosare ke paryay bane hai.jo hua vo bahut hi sharmnak hai.
राजनीति ने खेल की भावना को बेशर्मि के पार ले गये है।
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