समय अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ता है और पीछे रह जाते है हम।
अभी कुछ ही समय बीता है हमें याद करते हुए कि "७० के दशक के गाने और ९० के दशक कि आर्थिक क्रान्ति का हवाला देते हुए। परन्तु वहां अभिप्राय २० वी सदी से होता था लेकिन अब सही मायने मैं हम नयी सदी के हो चुके हैं जो हम मैं से बहुतेरों का आखिरी सदी होगा......
१९ वीं सदी जहाँ दो विश्व युद्ध के लिए जाना जायेगा वही २१ वीं सदी कुछ बड़े ही नए और अविश्वसनीय घटनाओं के लिए; जैसे कि
- ग्लोबल वार्मिंग
- इस्लाम बनाम सारी दुनिया (यहाँ अभिप्राय Radical Islamic War से है )
- सुचना तकनिकी
- पानी
- एशिया महादेश कि ताक़त
- पश्चिमी देशों का घटता रुसूख, इत्यादि, इत्यादि
सन १९८४ मैं जब राजीव गाँधी ने कहा कि हम २१ वीं सदी मैं निर्णायक कि भूमिका निभाएंगे तब शायद ही किसी ने सोचा था कि ऐसा हो भी सकता है परन्तु १९९० से २०१० तक कि यात्रा मैं इस बात कि पुष्टि हो गयी कि सेकड़ों साल कि गुलामी के बाद अब दुनिया के नेतृत्व करने का समय आ गया है और भारत इस के लिए तैयार भी है।
वैसे बहुत सारी कमियां है हमारे अन्दर लेकिन वो शायद हर समाज या फिर देश मैं होता है , सही मायने मैं हमारी आज़ादी अभी तक दूसरों के हाथों पर टिकी रहती है लेकिन कम से कम तानाशाही व्यवस्था से हम मुक्त हैं।
गरीबी, अशिक्षा , भेदभाव, असमानता और भ्रष्टाचार अभी तक हमारे समाज मैं मौजूद है लेकिन २१ वीं सदी के पहले दशक मैं हमने देखा है कि हमारी रफ़्तार भले ही सुस्त हो परन्तु दिशा दुरुस्त है जो कि हमें हमारी मंजिल (एक सुखी समाज) तक लेकर जायेगी।
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