राम कृष्ण महाविद्यालय (मधुबनी के झरोखे से)

मधुबनी मिथिलांचल की हृदयस्थली है और इस ह्रदय में ऐतिहासिक शिक्षा का मंदिर राम कृष्ण कोलेज ( आर के कोलेज) बसता है. १९४० को स्थापित यह महाविद्यालय मिथिला में ही नहीं अपितु बिहार से दूर पुरे भारत सही नेपाल में भी अपनी शिक्षा और प्रसाशन के लिए एक पहचान रखताहै। चाहे विज्ञान कि पढाई हो या कॉमर्स की चाहे हूँ स्नातकोत्तर की ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में अपनी वर्चस्वता और श्रेष्ठता रखने वाला महाविद्यालय आज विश्वविद्यालय, राज्य सरकार और निरंकुश महाविद्यालय प्रशाशन के कारण शानदार अतीत की जर्जरता को ढ़ोते हुए कराह रहा है।

आइये तस्वीरों से इस झलकी को जाने



प्रवेश द्वार, शानदार अतीत का गवाह


प्रसाशनिक भवन, चमक दमक में खोता गौरवशाली अतीत


भौतिकी विभाग, स्वछंदता से बंदीगृह बनता हुआ


विज्ञान भवन, गौरवशाली सीना मगर जर्जर वर्तमान दोषी कौन ?


कामर्स भवनमहाविद्यालय की पहचान मगर शिक्षा के गिरते स्तर ने शानदार अतीत को छलनी किया


स्नातकोत्तर विभाग, निरंकुशता का शिकार


लाइब्रेरी, समृद्द इतिहास का गवाह अंतिम साँसें लेता हुआ


कोमन रूम, कभी हुआ करता था आज नहीं है !


खेल कूद विभागमहाविद्यालय की शान और पहचान अपने अतीत के भरोसे जर्जरता को ढो रहा है


महाविद्यालय खेल मैदान जो गवाह रहा है कि राम कृष्ण महाविद्यालय फूटबाल टीम ने कैसे राष्ट्र की सर्वोच्च टीम मोहन बागन को यहाँ परास्त किया आज सिर्फ चारागाह बना हुआ है


उत्तर भारत और नेपाल के लिए शिक्षा का महा मंदिर आज अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है, कौन है इसका जिम्मेदार ?

सरकार ?

विश्विद्यालय ?

महाविद्यालय प्रशाशन ?

या फिर व्यवस्था जिसके करण कभी छात्रों का इस महाविद्यालय में पढना सम्मान की बात हुआ करती थी आज अपने अस्तित्व के लिए ही लड़ रहा है !



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