दोहे और उक्तियाँ !!


नीकी पै फीकी लगे, बिन अवसर की बात।



जैसे बरनत युद्ध में, नहिं सिंगार सुहात।।


(वृंद कवि)

1 comment:

महेन्द्र मिश्र said...

बहुत सुन्दर दोहे और उक्तियाँ है बधाई ....

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