लोग अपनी समझ खो चुके हैं और इस चेतन-विश्व में आत्म-भ्रमित होकर घूम रहे हैं।
बुद्धिजीवी रिश्वत लेने और बेईमानी के विभिन्न साधनों द्वारा धन कमाने के चतुर साधन खोज निकालते हैं।
हर तरफ भ्रष्टाचार है।
दिलों से दया, स्हानुभूति, ईमानदारी और निष्कपटता समाप्त हो चुकी है।
जब मन लालच, लालसा और बेईमानी से भरा हो, अन्तरात्मा की आवाज
नष्ट हो जाती है।
क्या इस वर्तमान दयनीय स्थिति को सुधारने का कोई उपाय है?
हाঁ ऐसा है।
हमें साधारण जीवन और उच्च विचारों को अपनाना होगा।
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