बड़े भाई सुमन जी से मुलाक़ात.

लीजिये साहब आज भाई रणधीर सिंह 'सुमन' जी से मिल कर आया मेरा ये दूसरा मौका था जब मै भड़ास परिवार के किसी सदस्य से मिला इससे पहले मै महाभडासी डॉक्टर रुपेश जी से और मुनव्वर आपा से मिल कर आया हलाकि सुमन जी और मेरे घर की दूरी १०० किलो मीटर ही है और बाराबंकी लखनऊ के रस्ते में ही पड़ता है लेकिन ऐसा इत्तेफाक नहीं हो पाया आज मै सुमन जी से मिलने की नियत से ही घर से निकला वो मुझे कचेहरी में ही मिल गए मुझे उनसे मिल कर ऐसा लगा ही नहीं की हम पहले नहीं मिले बिलकुल बड़े भाई की तरह उन्होंने बात की चर्चा कई मुद्दों पर हुई और खास कर लोक शंघर्ष पत्रिका को लेकर, मुझे ये जान कर हैरानी हुई की इतना उर्जावान व्यक्तित्व पेस मेकर पर जी रहा है मुझे काफी अचम्भा भी हुआ जब सुमन जी ने मुझे बताया की कैसे ह्रदय पक्षघात के बाद उनके मशीन फिट की गयी, लोक शंघर्ष पत्रिका आज ही मुझे डाक से भी मिली लेकिन उससे पहले सुमन जी ने ५ पत्रिका मुझे भेंट की जिसका मै आभारी हूँ लेकिन साथ ही ये अफ़सोस भी है की पढने वाले खरीद कर पढने में रूचि नहीं लेते लेकिन 'लोक शंघर्ष के लिए से कहना चाहूँगा इसके वार्षिक मेम्बर बने फीस मात्र १०० रुपये वार्षिक है ये हमारा योगदान होगा सुमन जी के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए,

आपका हमवतन भाई 'गुफरान सिद्दीकी'(अवध पीपुल्स फोरम अयोध्या,फैजाबाद)

1 comment:

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

गुफरान भाई,
सबसे पहले बधाई लीजिये,
मुंबई के बाद तो भड़ास परिवार से मिलन ही दूभर हो गया है मगर फिर भी हम भडासी को दिल में रखते हैं और उनके दिलों में रहते हैं,
देखिया हमारा मिलन सुमन भाई से कब होता है.
लोक संघर्ष पत्रिका को में भी वार्षिक सुरक्षित करवा लूँगा.
जय जय भडास

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