सभी मीडिया संस्थान ने चाहे अखबार हो या खबरिया चैनल या फ़िर अंतरजाल मीडिया सभी ने इस से सम्बद्ध अभियान चलाया। कहीं कहीं तो बाकायदा सर्वश्रष्ठ आर टी आई सूचना के लिए पुरस्कार की भी घोषणा की गई थी मगर इन सबमें जो प्रश्न पीछे छुट गया वह ये था की क्या वाकई हमारे देश के सम्बंधित संस्थान, मीडिया, नेता या फ़िर बुद्धिजीवियों की संवेदनशीलता थी या फ़िर इसी बहाने अपने स्वार्थ की सिद्धी ?
नजर तस्वीर पर और संवेदनशीलता भारत के प्रतिष्ठित अखबार हिन्दुस्तान की।
बिहार के झंझारपुर में रिक्शा चालक हैं मोहम्मद मजलूम, आर टी आई कानून के तहत अपने अधिकार को हासिल किया और अपना घर इंदिरा आवास के तहत बनवाया। मोहम्मद मजलूम को प्रसिद्धि मिली, कहीं मीडिया ने तो कहीं संगठन ने सेमीनार कर मजलूम जी की प्रसिद्धि को बेचा, मगर क्या वास्तव में आर टी आई को आम जन तक ले जाने में अपनी भागीदारी निभाई।
पटना से प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान की ख़बरों के प्रति संवेदनशीलता आप इस तस्वीर से देख सकते हैं जहाँ पुरे भारत के लिए आदर्श मोहम्मद मजलूम की ख़बरों के ऊपर विज्ञापन चेप कर दिखाया है।
आर टी आई को आम जनों तक पहुंचना है, लोगों को उनके अधिकार का पता चलना चाहिए मगर ऎसी हड्कतों से क्या मीडिया अपनी जवाबदेही को निभा रही है।
अनकही चीखें ही तो हैं ये।
5 comments:
सच कह रहें हैं,रजनीश जी ।
सच कहा आपने यह अनकही चीखें ही तो हैं ,धन्यवाद !
आपसे शत प्रतिशत सहमत हूँ बिलकिल सही कहा आपने। इस मीडिया का तो हाल यही है शुभकामनायें
मीडिया को कोसने से क्या होगा सबको अपनी भागीदारी और अपने अधिकारों के प्रति सचेत होना होगा।
rajneesh ji yahan yojanayein sirf dikhave ko banti hain aur jaise banane wale vaise hi dikhane wale..........kab tak cheekhenge , yahan cheekhon ka koi mol nhi hai.........ek baar hathiyar utha lo phir dekho sara jahan aapke kadmon mein hoga.
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