बीते दिनों आर टी आई पुरस्कार दे दिए गए, पुरस्कार देने की घोषणा के साथ ही स्थानीय संगठनों , निकायों और मीडिया में इस पुरस्कार को लेकर विशेष अभियान चलाये गए।
सभी मीडिया संस्थान ने चाहे अखबार हो या खबरिया चैनल या फ़िर अंतरजाल मीडिया सभी ने इस से सम्बद्ध अभियान चलाया। कहीं कहीं तो बाकायदा सर्वश्रष्ठ आर टी आई सूचना के लिए पुरस्कार की भी घोषणा की गई थी मगर इन सबमें जो प्रश्न पीछे छुट गया वह ये था की क्या वाकई हमारे देश के सम्बंधित संस्थान, मीडिया, नेता या फ़िर बुद्धिजीवियों की संवेदनशीलता थी या फ़िर इसी बहाने अपने स्वार्थ की सिद्धी ?
नजर तस्वीर पर और संवेदनशीलता भारत के प्रतिष्ठित अखबार हिन्दुस्तान की।
बिहार के झंझारपुर में रिक्शा चालक हैं मोहम्मद मजलूम, आर टी आई कानून के तहत अपने अधिकार को हासिल किया और अपना घर इंदिरा आवास के तहत बनवाया। मोहम्मद मजलूम को प्रसिद्धि मिली, कहीं मीडिया ने तो कहीं संगठन ने सेमीनार कर मजलूम जी की प्रसिद्धि को बेचा, मगर क्या वास्तव में आर टी आई को आम जन तक ले जाने में अपनी भागीदारी निभाई।
पटना से प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान की ख़बरों के प्रति संवेदनशीलता आप इस तस्वीर से देख सकते हैं जहाँ पुरे भारत के लिए आदर्श मोहम्मद मजलूम की ख़बरों के ऊपर विज्ञापन चेप कर दिखाया है।
आर टी आई को आम जनों तक पहुंचना है, लोगों को उनके अधिकार का पता चलना चाहिए मगर ऎसी हड्कतों से क्या मीडिया अपनी जवाबदेही को निभा रही है।
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