झारखंड विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आने और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन द्वारा मुख्यमंत्री पद पर लगातार जोर दिए जाने के साथ झारखंड में गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिए कांग्रेस के समक्ष विकल्प सीमित होते दिख रहे हैं। लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों ही शिबू को मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहते।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी इस मुद्दे पर विभिन्न फार्मूलों पर विचार कर रही है, इनमें कांग्रेस के सरकार में शामिल हुए बगैर मुख्यमंत्री पद के लिए सोरेन का समर्थन करना शामिल है।
पार्टी में जो लोग इस विकल्प की वकालत कर रहे हैं, उनका कहना है कि क्षारखंड विकास पार्टी के प्रमुख बाबूलाल मरांडी को केन्द्र में मंत्री बनाया जाना चाहिए, जबकि कांग्रेस के बाहर से समर्थन के साथ सोरेन को राज्य में सरकार चलाने की इजाजत दी जानी चाहिए। इस चुनाव में कांग्रेस मरांडी के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी थी।
उनका यह भी सुझाव है कि राज्य में सरकार के कामकाज पर नजर रखने के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया जा सकता है। इससे कांग्रेस को राज्य सरकार के कामकाज पर कुछ हद तक दखल का अधिकार मिल सकता है, क्योंकि पार्टी को निर्दलीय मधु कोड़ा के नेतृत्व वाली सराकर को समर्थन देकर कई कड़वे सबक मिले हैं।
कोड़ा फिलहाल 4000 करोड़ रुपये के घोटाले का सामना कर रहे हैं और उनकी सरकार को बाहर से समर्थन देने के लिए कांग्रेस को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।
No comments:
Post a Comment