झारखंड विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस गठबंधन 25 सीटों के साथ सबसे बड़े गठबंधन के रुप में उभरा है लेकिन इस जीत के हीरो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी माने जा रहे हैं. मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा ने चुनावों से पहले कांग्रेस का गठबंधन किया था और उनकी पार्टी को 11 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस को 14 सीटें मिली हैं.
बाबूलाल पहले भारतीय जनता पार्टी में थे और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं. हालांकि बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और नई पार्टी का गठन किया था. झारखंड की राजनीति में बाबूलाल की छवि ईमानदार नेता की मानी जाती है और वो मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में आगे बताए जाते हैं.
बीजेपी गठबंधन को इन चुनावों में 20 सीटों से संतोष करना पड़ा है. हालांकि पिछले चुनावों में बीजेपी गठबंधन को 36 सीटें मिली थीं. 20 में से 18 सीटें बीजेपी की हैं जबकि जेडी यू को दो सीटें मिली हैं. राष्ट्रीय जनता दल को पांच सीटें मिली हैं जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को 18 सीटें मिली हैं. अन्य उम्मीदवारों ने 13 सीटें जीती हैं.
बड़े नेताओं में दुमका से कांग्रेस के स्टीफ़न मरांडी को हेमंत सोरेन ने हरा दिया है. हेमंत शिबू सोरेन के पुत्र हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बालमुचु भी चुनाव हार गए हैं.
झारखंड में सीता और गीता जीत गईं हैं. सीता सोरेन दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं और गीता कोड़ा पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं. गीता कोड़ा जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीत गईं हैं.
किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता दिखाई दे रहा है. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरे हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं.
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भाजपा अच्छी स्थिति में है. उनका कहना था कि भाजपा संसदीय बोर्ड की शाम को बैठक होगी जिसमें परिणामों के मद्देनज़र फ़ैसला लिया जाएगा. राष्ट्रीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी और वाम दलों के सरकार बनाने में मुख्य भूमिका हो सकती है.
राज्य ने पांच चरणों में हुए विधानसभा चुनाव की शुरूआत 25 नवंबर को हुई थी. अंतिम चरण में 18 दिसंबर को मतदान हुआ था. इस बार चुनाव मैदान में 1489 उम्मीदवार हैं. स बार के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सर्वाधिक 79 उम्मीदवार खड़े किए थे. इसके बाद बसपा ने 78, भाजपा ने 67 और कांग्रेस ने 61 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे. मतदान के बाद भाजपा ने संकेत दिए थे कि विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद वह अपने सहयोगी तलाशेगी.
दूसरी ओर कांग्रेस ने भरोसा जताया था कि उसका झारखंड विकास मोर्चा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन 41 का जादुई आंकड़ा छू लेगा. उल्लेखनीय है कि 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 30 और जनता दल-यूनाइटेड ने छह सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने 17, कांग्रेस ने नौ और आरजेडी ने सात सीटों पर जीत दर्ज की थी.
1 comment:
मंगल गान गाओ सखी री… सेकुलरवाद फ़िर जीत गया…
शायद अब तो भाजपा को समझ में आ जाये कि महंगाई, भ्रष्टाचार, विकास आदि मुद्दों पर चुनाव नहीं जीते जाते…। झारखण्ड में न तो महंगाई है, न ही शिबू सोरेन और कोड़ा जैसों की छवि से लोगों को कोई सरोकार है, न वहाँ की जनता को स्थाई सरकार और विकास से कोई मतलब है… फ़िर क्यों न भावनात्मक मुद्दों को हवा दी जाये…। सीधे रास्ते और मुद्दों पर चलकर तो देख चुकी भाजपा, एक भी चुनाव नहीं जीत पा रही…
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