सीबीआई की एक विशेष कोर्ट ने उन्नीस साल पहले एक किशोरी से छेड़छाड़ करने के मामले में हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को दोषी करार देते हुए छह माह के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उन्हें 1,000 रुपए की राशि जुर्माने के रूप में भरने को कहा है।
सीबीआई के स्पेशल मजिस्ट्रेट जेएस सिद्धू ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि जुर्माना न अदा करने पर राठौर को एक माह की सजा और भुगतनी होगी। पीड़िता 14 वर्षीय किशोरी रुचिका गिरहोत्रा उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी थी। वह 12 अगस्त 1990 को राठौर की छेड़छाड़ का शिकार हुई थी। उस दौरान राठौर हरियाणा में आईजी और हरियाणा टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। उसी दौरान रुचिका और राठौर का आमना-सामना हुआ था। इस घटना के तीन साल बाद रुचिका ने जहर पीकर खुदकुशी कर ली थी।
पूर्व डीजीपी की पैरवी कर रही उनकी वकील पत्नी ने अदालत से फैसला सुनाते वक्त उनकी उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नरमी बरते जाने का अनुरोध किया था।
पूर्व डीजीपी की पैरवी कर रही उनकी वकील पत्नी ने अदालत से फैसला सुनाते वक्त उनकी उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नरमी बरते जाने का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि छेड़छाड़ की इस घटना के आठ साल बाद 1998 में इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले की गई थी। रुचिका के परिजनों ने राठौर के खिलाफ केस किए जाने की वजह से पुलिस द्वारा उन्हें प्रताड़ित किए जाने का आरोप भी लगाया।
रुचिका की सहेली और इस घटना की एकमात्र गवाह आराधना गुप्ता इस मामले का फैसला सुनने के लिए आस्ट्रेलिया से अपने पति के साथ चंडीगढ़ आई थीं। आराधना, रुचिका की सहयोगी टेनिस खिलाड़ी और पड़ोसी थीं। घटना के वक्त वह महज 13 साल की थीं। आराधना ने बताया कि रुचिका द्वारा खुदकुशी कर लिए जाने के कारण वह खुद को माफ नहीं कर पा रहीं थीं, लेकिन कोर्ट के फैसले से उन्हें कुछ राहत महसूस हुई है।
रुचिका की मौत के बाद पुलिस की प्रताड़ना से परेशान होकर उसका परिवार पंचकुला का अपना घर छोड़कर पंजाब में किसी अज्ञात जगह पर रहने चला गया था। इसके बाद रुचिका के मामले को आराधना के पिता ने अपने हाथ में ले लिया था और वे न्याय पाने के लिए लगभग 450 बार विभिन्न कोर्टे में पेश हुए थे।
1 comment:
यही तो इस देश का दुर्भाग्य है ! जहां हम स्त्री-पुरुष की समानता की बात करते नहीं थकते वहीं इस जैसे दरिन्दे को जिसे कि पत्थर मार मार कर मार डालना चाहिये था, एक स्त्री ही बचा रही है ! धिक्कार है इस देश की न्याय व्यवस्था पर, इस हरामखोर दरिन्दे की सजा कम करने का बहाना यह दिया जा रहा है कि इसकी तवियत और उम्र ढल गई मगर इस दरिन्दे ने जिस एक मासूम की जिन्दगी छीन ली, उसकी कोई कीमत नहीं ! थूकने का मन करता है इस देश की क़ानून और न्याय व्यवस्था के ऊपर !
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