गायब समीर को खोजने में पुलिस की मदद नही !


ये चित्र नॉएडा सेक्टर ६५ में रहने वाले समीर दुबे का। समीर ८ वी का छात्र है और माता-पिता के साथ रहता था। मूल रूप से बनारस का रहने वाला समीर पिछले दो साल से नॉएडा में रहकर पढ़ रहा था। पिछले १८ नवम्बर को अचानक वह घर छोड़कर चला गया। पहले ४-५ दिनों तक तो वह इसी इलाके में दिखाई देता था। कुछ हम उम्र दोस्तों से साथ वह दीखता था । पर हमने और इसके पिता ने जब खोजना शुरू किया तो इसके एक दोस्त ने बताया की वह तो बनारस अपने घर चला गया है। मगर आज तक वह घर नही पहुँचा। पुलिस ने काफी हिला-हवाली के बाद रिपोर्ट तो लिख ली , लेकिन वे कह रहे हैं की ये ख़ुद घर से गया है तो हम क्या कर सकते है! इसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट सेक्टर-५८ थाने में दर्ज है और इसकी जाँच सेक्टर-६२ पुलिस चौकी के इंचार्ज अरविन्द कुमार कर रहे हैं। अब तक उन्होंने कोई कार्यवाही नही की है। उधर इसके माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। कुछ लोग सलाह दे रहे हैं की पुलिस को रिश्वत वगैरह दो तब सक्रीय होंगे, कुछ लोग कह रहे है की नेता-मंत्री से सोर्स लगाओ तब पुलिस कारवाही करेगी। गरीब माँ-बाप दोनों में असमर्थ है। तो क्या अब वे अपने बच्चे की आस छोड़कर बैठ जायें? बाद में इसके पिता को पता चला की ये लड़का कुछ स्थानीय ग़लत लडको की संगत में आ गया था। जुआ इत्यादि खेलना आदत बन गई थी। पुलिस चाहे तो स्थानीय लोगो से जानकारी हासिल कर इस लड़के का पता लगा सकती है। मगर वे कुछ नही कर रहे है, पिछले कुछ महीनो में गाजियाबाद के आस-पास के इलाकों से करीब सैकड़ो बच्चे गायब हो चुके है। शक है की इसके पीछे किसी न किसी का हाथ जरुर है क्योंकि ज्यादातर गायब बच्चे बाहर से आकर नौकरी करने वालों के हैं, और गरीब है, उनके बच्चों को बहला-फुसलाकर पहले तो ग़लत आदत डाली जाती है। फिर उन्हें गायब कर दिया जाता है। पुलिस भी बाहरी होने के नाते ज्यादा तवज्जो नही देती। ऐसी स्थिति में क्या किया जाय कुछ समझ में नही आ रहा है?????????????

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