जहरीली गैस के दीर्घकालीन नुकसानों को जानने के लिए आईसीएमआर की तीन शोध रिपोर्ट अब तक फाइलों में ही कैद हैं। इन्हें अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। रिपोर्ट्स में जहरीली गैस से लोगों के स्वास्थ्य एवं उनके जीवन पर आगामी 50 साल तक रहने वाले प्रभावों के बारे में बताया गया है।
आईसीएमआर कार्यालय नई दिल्ली में मौजूद एक रिपोर्ट में गैस प्रभावित क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं के गर्भपात एवं त्रासदी के 20 साल बाद भी जन्म लेने वाले बच्चे अपंग, गूंगे, बहरे, मंद बुद्धि पैदा होने का उल्लेख है। सांस एवं दिल संबंधी बीमारियों की शोध रिपोर्ट में यहां के लोगों में अस्थमा, टच्यूबर कुलोसिस सहित कई अन्य गंभीर बीमारियां होने की बात कही गई है। रहने वाले प्रभावों के बारे में बताया गया है।
आईसीएमआर नई दिल्ली ने गैस त्रासदी के बाद लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जानने के लिए 24 विषयों पर शोध कराए हैं। इनमें से 21 की शोध रिपोर्ट आईसीएमआर कार्यालय में वर्षो पहले जमा हो चुकी है। आईसीएमआर ने प्रभावित लोगों के लिए टीकाकरण, मनोरोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों के प्रशिक्षण की जरूरत, प्रभावितों पर दीर्घकालीन असर, कैंसर के प्रति प्रतिरोधकता आदि पर शोध कराया है। इसके अतिरिक्त गैस के कारण कितने लोग मनोरोगी बने, न्यूरोलाजीकल मैनफ्रस्टेशन्स ऑफ एमआईसी, मेटाबॉलिक स्टडीज इन एमआईसी, जेनेटिक रिस्क इवोल्यूशन ऑफ एमआईसी, सायटोजेनेटिक स्टडीज इन पापुलेशन एक्सपोस्ड एट भोपाल, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट्स इनक्लूडिंग ब्लड गैस एनालिसिस, रेडियोलॉजीकल स्टडीज ऑफ एमआईसी, नवजात की विकास एवं वृद्धि गैस प्रभावित क्षेत्रों में, क्लीनीकल एंड फोरेंसिक टोक्सेकोलॉजी स्टडीज, पल्मोनरी कांप्लीकेशन्स इन्वेस्टीगेशन इन माइक्रोबायलॉजी सहित कई अन्य विषयों पर शोध रिपोर्ट तैयार की गई है। इन शोध रिपोर्ट के आधार पर गैस त्रासदी के बाद लोगों का चिकित्सकीय पुनर्वास करना था।
डॉ. एनआर भंडारी का कहना है कि जहरीली गैस का असर आगामी 50 साल तक प्रभावित क्षेत्रों के लोगों पर रह सकता है और बच्चे मंदबुद्धि, विकलांग पैदा हो सकते है ।
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