हवाई जहाज़ों के विशेष ईधन के बारे में तो आप खूब पढ़ते-जानते रहे होंगे पर सोचिए, अगर बिना तेल की टंकी भरे कोई विमान आसमान में उड़ता नज़र आए तो कैसा लगेगा. जी हाँ, अब एक ऐसे विमान को उड़ाने की तैयारी की जा रही है. ईधन की ज़रूरत को पूरा करने के विकल्प के तौर पर इस विमान में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा.
सौर ऊर्जा से चलने वाले इस हवाई जहाज़ का मॉडल पूरी दुनिया का चक्कर लगाने के लिए शुक्रवार को अपनी यात्रा पर रवाना हो रहा है। इस जहाज़ की वास्तविक उड़ान फरवरी में प्रस्तावित है और इसका अंतिम स्वरूप 2012 में अटलांटिक महासागर को पार करने की कोशिश करेगा.
विमान की चौड़ाई हालांकि जंबो जेट विमान जितनी है लेकिन इसका वजन मात्र 1,500 किलोग्राम है और इसके चालक हैं स्वीडन के पायलट बर्ट्रेंड पिकार्ड. सोलर इंपल्स के मुख्य अधिशाषी एंड्रे बोर्शबर्ग का कहना है, ‘ये बहुत ही रोमांचक है, हम अब काफी ठोस स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं. आपको इस विमान की खूबियों को महसूस करना चाहिए और अब इसे ज़्यादा देर तक ज़मीन पर खड़ा नहीं रखा जा सकता.’
इस जहाज़ का निर्माण करने वाली टीम के सदस्यों ने इसके इंजन को पूरी ताक़त देने में कई दिन तक कड़ी मेहनत की.अगर इसका परीक्षण सफल हो जाता है तो इसे अगले चरण तक पहुंचाने में क़रीब दो सप्ताह और लगेंगे.
बोर्शबर्ग ने कहा, ‘हम रनवे के शुरुआती छोर से उड़ान भरेंगे, ऊपर कुछ मीटर तक उड़ेंगे, बिल्कुल वैसे ही जैसे 1903 में राइट बंधुओं ने किया था और फिर नीचे उतर आएंगे. ताकि देखा जा सके कि उड़ान भरते वक़्त ये कैसे काम कर रहा है.’
उन्होंने आगे कहा कि अगर सब कुछ संतोषजनक रहता है तो हम इसे फरवरी में क़रीब दो घंटे की उड़ान के लिए इजाज़त देंगे। लेकिन हरेक स्तर पर काफी सावधानी बरती जाएगी.उनका कहना था कि ये बिल्कुल नई डिज़ाइन है जिसमें एक एयरबस के आकार वाले हवाई जहाज़ का वजन सिर्फ़ एक मध्यम आकार की कार के बराबर है.
(एजेंसी)
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