महोदय ने बाकायदा इस ख़बर को अपने ज्ञान और पत्रकारिता के हिसाब से परोसा मगर कहाँ चूक रह गयी।
सबने देखा और सुना कि बराक ओबामा ने क्या कहा और मनमोहन सिंह ने क्या कहा मगर अभिसार महोदय को लगता है कि खबरिया चैनल देखने वाले या तो अनपढ़ जाहिल हैं या अमेरिकी भाषा के अज्ञानी सो अपना पुलिंदा लेकर बाजार में लगे अपना बड़प्पन यानि कि पत्रकारिता कि सनसनी दिखने।
इस ख़बर से पहले ही मुलायम अहलुवालिया प्रकरण पर अमर सिंह से लताड़ खा चुके इस एंकर ने अबनी भड़ास इस ख़बर पर निकाली और बिना जाने समझे बुझे ओबामा के बयां को नाम बड़े और दर्शन छोटे करार दे दिया जबकि भारत और अमेरिका के बीच ये कोई पहला कुटनीतिक सम्मलेन नही था और लोग ज्यादा आशान्वित भी नही थे मगर इन्हें तो आशा थी आख़िर सबसे तेज न्यूज़ चैनल के न्यूज़ रूम से समूह का बाजार जो चलवाना था। मगर ये क्या............
इस बड़े और छोटे वाले प्रश्न पर तो इनके ही सहकर्मी और अक्सर इस न्यूज़ रूम के हिस्सा रहने वाले अजय कुमार ने तो जो कि उस समय इस सम्मलेन में मौजूद थे कि बात को ही सिरे से ख़ारिज कर दिया और सम्मलेन में वास्तविक संबोधन को बयां कर दिया।
नाम बड़े ओए दर्शन छोटे यानि की आज तक चैनल क्या अपने पत्रकारों और एंकरों से अपने चैनल को बेचने के लिए बाकायदा ख़बर चीरहरण करने कि नसीहत के साथ चलता है या आज तक न्यूज़ चैनल का न्यूज़ रूम ख़बर के चीरहरण के लिए ही है।
भड़ास का अभियान
जय जय भड़ास।
1 comment:
अग्नि बालक! पत्रकारिता और पत्रकारिता की आत्मा ये क्या होती है आज के दौर में लालाजी की तोलूगिरी में सतत लगे लोग क्या समझेंगे। बेचों, बेचों और बेच दो सब कुछ बेच दो खबर बेचो घटना बेचो सूचना बेचो कागज बेचो समय बेचो ईमान बेचो आत्मा बेचो....
जय जय भड़ास
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