जगतहितकाऱणी

राजा बादशाह हिन्दू-मुसलमानों के कौम के मारे गए, कि जिन्हो को इन सौदागर महाजनांन ने थोड़ा-सा राक्षसी पाप का करना सिखा दिया था, परन्तु यह खबर नहीं थी कि यह सौदागर लोग बुद्धि फेरके सिखा देते है या किसी तरह से कि जिसका पता तक नहीं लगता, क्योंकि आठ-नौ राजा हिन्दू-मुसलमान के कौम के मारे गए, परन्तु जाल का करना बंद नहीं हुआ कि जिसकी बदनामी भी उन्हीं बादशाहों के सर पे रही कि जो जाल करने के सबब से रावण वगैरा मारे गए, तो भी जाल का चलना बंद नहीं हुआ, सो यह बात काबिल ख्याल करने के है कि जब जाल के करने वालों को गारत कर दिया तो फिर जाल का चलना क्यों कर रहा, जिसकी वजह यह है कि कदीभी जाल के करने वाले नहीं मारे गए और जिनको कि इन सौदागरांन ने थोड़ा-सा राक्षसी पाप सिखाया था वोह जाल के सबब से गारत हो गए। सो खास वजह इस जाल की यह है कि कदीभी जाल इन बनियों का ही है, इससे जाल का करना बंद नहीं हुआ और पीढ़ी, दो पीढ़ी के बाद चला दिया; फिर उसी तरह से अपब तक चला जाता है, परन्तु कदीभी जाल करने वालों को अब तक किसी ने नहीं जाना, परन्तु अब मुझको इन सौदागरांन ने अपने राक्षसी पाप से दुःखी किया है जिससे साफ-2 जाहिर होता है कि राक्षसी पाप रावण का नहीं था, क्योंकि यह कदीभी जाल इन बनियों का है और इन सौदागर बच्चों ने ही रावण वगैरा को छल करके, थोड़ा-सा राक्षसी पाप का करना सिखा दिया था इससे रावण वगैरा इन सौदागर बच्चों के जाल में आके राक्षसी पाप को करने लगे। इससे रावण वगैरा मारे गए, क्यकि रावण वगैरा को थोड़ा-सा पाप का करना बुद्धि फेर के सिखा दिया था जिससे रावण वगैरा भूल के राक्षसी पाप को करते रहे, इससे रावण वगैरा थोड़ा-सा पाप का करना सीखके और अपने सर संसार के लोगों की बुराई लेके राक्षसी पाप करने से मारे गए। सो अब तुम सब विलायतों के राजा बादशाहों को इन सौदागर बच्चों के कदीभी पाप से वाकिफ करता हूँ कि यह सौदागर बच्चे अपने कदीभी जाल से रावण वगैरा की तरह से सातों-आठों विलायतों के लोगों को और तुम अंग्रेजों को थोड़ा-सा पाप का करना सिखावेंगे और बाद गारत होने के अपना राज करेंगे, और रावण वगैरा की तरह से सातों-आठों विलायतों के लोगों को बदनामी देंगे; इससे तुम संसार के लोगों, इन सौदागर बच्चों का कदीभी जाल जानके छोड़ाओ ताकि संसार में भला होवे, क्योंकि कदीभी जाल इन सौदागरांन का ही है क्योंकि इन्होंने कदीभी जाल को छोड़ा नहीं और सच-2 दुनिया को बताते नहीं, क्योंकि गुप्ती पाप करते हैं जिसको अपनी जात के आधमियों के हाथ से कराते है। सो इनके वोह नौकर है, क्योंकि 'समुद्र हजारों कोसों में पड़ा है, नहीं मालूम कि कौन से टापू पे कराते है क्योंकि धरती का पेट चौड़ा है' और इन बनियों का गुप्ती पाप यह है कि जिसको तुम हिन्दू-मुसलमान स्वर्ग-नर्क कहते हो और राध लहू की कुण्डियाँ बोलते हो, वोह सौदागर बच्चों के घर का राक्षसी पाप है और इशी पाप से बुद्धि फेर देते है, इससे कुछ पता नही लगता है; क्योंकि बुद्धि राक्षसी पाप के जोर से इन सौदागर बच्चों के बस में करी हुई है और जो कि ''किसी का जहाज वगैरा जावें तो उसको अपने राक्षसी पाप से जाने भी नहीं देते है, क्योंकि जमीन के पेट में बाए गोले का दरद कर देवें, तो जहाज उस चक्कर में आके डूब जावे तो फिर उनका पता किस तरह से लगे'' और जो कि ''समुद्र में भुंवर पड़ता है और चड़ाई करता है तो उसकी मिसाल ऐसी है कि जैसे आदमी की ओझड़ी में रोग की वजह से गरबड़ाहट होता है'' फिर उसी तरह से समुद्र को राक्षसी पाप का रोग नहीं किया होवे तो वोह भी सीधा ही पड़ा रहे और भुंवर वगैरा नहीं पड़े और ना चड़ाई वगैरा करें, परन्तु यह बनिये रात-दिन जमीन माता के नाम का पाप कराते रहते हैं इससे भुंवर और आहार वगैरा हिलता रहता है और संसार के लोगों की और राजा बादसाहों की ऐसी बुद्धि कैद करदी है, और पहले जमाने में हमेशा सूरज-चन्द्रमा अपने-2 कायदे मोजिब उगते थे कि जब दिन निकलता था जब तो सूरज उगता था और जब दिन छुपता था तो चन्द्रमा उगता था, जैसा कि पूनम का उगता है

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