वो राज्य जिसके पास अपने राजस्व बढ़ाने का कोई रास्ता नही है, वो राज्य जो पिछले चार सालों मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ "विशेष राज्य" का दर्ज़ा पाने की गुहार लगाते दिखी, अपने थोड़े से राजस्व का इस कदर दुरूपयोग देख कर ऐसा लगता है की कहीं नितीश जी का भी हाल "India Shining" campaign के बाद NDA की तरह ना हो जाए....
कमाल की बात है की नगण्य विकास के वावजूद नितीश जी कहते हैं की " आने वाले समय मैं बिहार" विकसित राज्यों की श्रेणी मैं अग्रणी होगा। कैसे? शायद वो अपने राजनितिक रूप से जागरूक और आर्थिक समझ से परे गरीब जनता को झांसा देने मैं कामयाब हो जायें परन्तु उनकी बात का कोई सार्थक अर्थ नही दीखता है। एक सरकार जो अपने चुनावी वादों मैं बिहार की सारी बंद पड़ी चीनी मीलों को शुरू करने की बात तो करती है परन्तु जब अमली जामा पहनाने का समय आता है तो कोई कार्य नही हो पाता, सारी चीनी मिलें अभी भी बंद पड़ी हैं..... जब बंद पड़ी उद्योग पर कोई काम ना हो तो नए निवेश की बात बेमानी सी लगती है......
जिस सरकार ने पिछले चार साल मैं रोज़गार मुहैया कराने के नाम कुछ न किया हो उस राज्य के मुख्यमंत्री का पुरे हिन्दुस्तान मैं अपने सफलता का ढोल पीटते देख अफ़सोस ही हो सकता है, कोई कुछ कर नही सकता क्यूंकि नितीश जी का autocratic attitude से हर कोई वाकिफ है।
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राज्य के प्रमुख सड़कों को अगर छोड़ दिया जाय तो पुरे राज्य भर के सुदूर क्षेत्रों की हालत जस की तस है....... यकीं न हो तो पटना से गया की यात्रा कीजिये (वो क्षेत्र जो नितीश जी के पड़ोस का है) या फ़िर मधुबनी से मधवापुर की यात्रा करें .....आपकी खुस्किस्मती अगर आप सही सलामत अपने प्रियजनों से मिल पाये :-)........
सरकारी अस्पताल मैं दवाइयाँ अभी भी नदारद मिलेंगी और किसी भी स्कूल मैं शिक्षक अपने क्लास लेते नही मिलेंगे....(ये नितीश विरोध नही, आंखों देखी वृत्तांत है)
कन्याओं को शिक्षा के क्षेत्र मैं बढ़ावा देने वाले नितीश जी ५०० करोड रूपये साइकिल खरीद पर खर्चते हैं (बधाई) परन्तु बिहार के किसी भी विस्वविद्यालय का शिक्षा सत्र अपने समय पर नही है , चाहे पटना विश्विद्यालय हो या मगध या फ़िर बिहार विश्वविद्यालय हो या मिथिला..... २००७ मैं नामांकित छात्र २००९ तक अपने प्रथम वर्ष की परीक्षा न दें पाये तो स्थिति सचमुच ही भयानक प्रतीत होती है.....
वोट के लिए चाँद हज़ार बेरोजगारों को शिक्षक (वो भी अनियमित) बनाने का झांसा देने के अलावे शिक्षा के क्षेत्र मैं नितीश जी की सरकार ने कुछ भी नही किया जिसपर गर्व से कहा जाए की बिहार की शिक्षा प्रणाली बेहतरीन है.....
आख़िर किस बात पर पीठ थपथपाई जाए या फ़िर नितीश जी कौन सा गुणगान कर रहे हैं समझ से परे है......
3 comments:
बहुत खूब लिखा है आपने..इसके लए मेरा व्यतिगत अभिनन्दन स्वीकार करें ..क्युकी आप बिअहर की समृधि और विकास के लए लोगो को जागरूक करने में अपनी क्षमता का उप्गोग कर रहे हैं..मैं आपके इस प्रयास में अपना योगदान जोरना चाहता हु... .. ..मेरी ये सुभ कमाना है की ..अधिक से अधिक लोग इसे पढ़े ..न सिर्फ पढ़े ...बल्कि सोचे भी..आखिर क्यों ..???इसी के साथ कीजिये स्वीकार मेरा प्यार भरा नमस्कार...
आनलाइन हस्ताक्षर करके विरोध जतायें
बिहार में सूचना मांगने वालों को प्रताड़ित करने की काफी शिकायतें आ रही हैं। अब बिहार सरकार ने सूचना पाने के नियमों में अवैध संशोधन करके एक आवेदन पर महज एक सूचना देने का नियम बनाया है। अब गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को सिर्फ दस पेज की सूचना निशुल्क मिलेगी, इससे अधिक पेज के लिए राशि जमा करनी होगी। ऐसे नियम पूरे देश के किसी राज्य में नहीं हैं। ऐसे नियम सूचना कानून विरोधी हैं। इससे सूचना मांगने वाले नागरिक हताश होंगे। इससे नौकरशाही की मनमानी बढ़ेगी। इस तरह बिहार सरकार ने सूचना कानून के खिलाफ गहरी साजिश की है। अगर सूचना पाने के नियमों में संशोधन हुआ तो नागरिकों को सूचना पाने के इस महत्वपूर्ण अधिकार से वंचित होना पड़ेगा। एक समय बिहार को आंदोलन का प्रतीक माना जाता था। आज सूचना कानून के मामले में बिहार पूरे देश में सबसे लाचार और बेबस राज्य नजर आ रहा है। वहां सुशासन की बात करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुशासन की भूमिका निभाते हुए कुशासन को बढ़ाना देने के लिए सूचना कानून को कमजोर किया है।
इसलिए आनलाइन पिटिशन पर हस्ताक्षर करके अपना विरोध अवश्य दर्ज करायें। इसके लिए यहां क्लिक करें- -
http://www.PetitionOnline.com/rtibihar/petition.html
-विष्णु राजगढ़िया
सचिव, झारखंड आरटीआइ फोरम
संशोधन के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए लिंक
http://mohallalive.com/2009/11/19/nitish-government-changed-right-to-information-act/
http://thehoot.org/web/home/story.php?storyid=4227&mod=1&pg=1§ionId=2&valid=true
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं....!
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