नितीश विकाश :- पैसे निर्गत सेवा का पता नही !

मधुबनी जिले को गहन चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य महकमे द्वारा मधुबनी में आईसीयू सेवा शुरू करने की योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पायी है।



सदर
अस्पताल, मधुबनी में आईसीयू सेवा का श्रीगणेश करने हेतु विभाग ने जनवरी 09 ही निर्धारित कर रखा था। उक्त सेवा चालू होने में पहले तो भवन निर्माण एजेंसी बाधक बनी। कारण, समय पर आईसीयू भवन का निर्माण कर स्वास्थ्य विभाग को हस्तगत ही नहीं कराया। लेकिन देर से ही सही जब भवन निर्माण एजेंसी आईसीयू भवन निर्माण कार्य पूरा कर नव निर्मित आईसीयू भवन को स्वास्थ्य महकमा को हस्तगत कर दिया है तो अब उक्त सेवा के चालू होने में डीएमसीएच का निश्चेतना विभाग ही शिथिल पड़ा हुआ है।



गौरतलब है कि सदर अस्पताल मधुबनी में आईसीयू स्थापना हेतु चिकित्सकों एवं पारा मेडिकल स्टाफ के प्रशिक्षण के लिए डीएमसीएच के निश्चेतना विभागाध्यक्ष को दो लाख रुपये जिला स्वास्थ्य समिति के पत्रांक 2130 दिनांक 13.11.08 के द्वारा विमुक्त किया गया था। इस आलोक में महीनों पूर्व चयनित चिकित्सकों पारा मेडिकल स्टाफ ने डीएमसीएच में प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। वहीं आईसीयू भवन में उपकरणों का अधिष्ठापन अन्य व्यय के लिए भी डीएमसीएच के निश्चेतना विभागाध्यक्ष को 18 लाख रुपये पत्रांक 2147 दिनांक 17.12.08 के द्वारा विमुक्त किया गया था। लेकिन जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा पत्रांक 242 दिनांक 20.02.09 एवं पत्रांक 522 दिनांक 06.04.09 के द्वारा स्मारित करने के बाद भी डीएमसीएच के निश्चेतना विभागाध्यक्ष द्वारा सदर अस्पताल मधुबनी में तो आईसीयू की स्थापना की गयी है और ही उक्त विमुक्त की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र ही जिला स्वास्थ्य समिति को उपलब्ध कराया गया है।



इधर चिकित्सकों एवं कर्मियों के प्रशिक्षण के बावजूद आईसीयू के उपकरणों का अधिष्ठापन नहीं किये जाने पर जिला स्वास्थ्य समिति ने चिंता व्यक्त किया है। चिंता का विषय यह भी है कि इसी मई माह में वित्तीय वर्ष 2008-09 का अंकेक्षण राज्य स्तरीय दल द्वारा किया जाना है, लेकिन अब उक्त आईसीयू मामले में विमुक्त की गयी 20 लाख रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जिला स्वास्थ्य समिति को डीएमसीएच के निश्चेतना विभागाध्यक्ष द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है।






साभार :-
अनकही

2 comments:

Kusum Thakur said...

नितीश राज्य के विकास की बातों की सच्चाई यदि यही है फिर तो भगवन ही मालिक है बिहार का .

Randheer Jha said...

गवेर्नेंसे के नाम पता नहीं चार साल मैं बिहार निवासियौं को क्या क्या फायदा हुआ?
कुछ बातें दिखती तो हैं परन्तु ढांचागत विकास के नाम नतीजा बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है. नितीश जी से व्यावहारिक अपेक्षाएं तो थी ही जिनका निर्वाह होते कम से कम दीखता नहीं है.....

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