रजनीश भाई जिन पर इस तरह से हमला होता है और उन्हें आभास तो रहता ही है कि क्या होने वाला है तो ऐसी स्थिति में दो विकल्प हैं कि या तो मार खा कर उसका प्रचार कर दो ताकि प्रसिद्धि हासिल हो जाए कि आप सच लिख रहे हैं इस लिये जुतिआये जा रहे हैं और दूसरा विकल्प है कि पलट कर इन नपुंसकों पर यदि आत्मरक्षा में दो फायर भी कर दें तो यकीन मानिये कि अगली बार जब कभी इनके आका इन पौरुषहीनों से कहेंगे कि कहीं हमला करना है तो धीरे-धीरे सब खिसक लेंगे क्योंकि पिछली बार मरने बच गये थे। लेकिन ऐसा नहीं होता दुनिया भर की कांव-कांव करेंगे कि सरकार नहीं सुनती, पुलिस खड़ी थी कुछ नहीं करा पत्रकार पिटते रहे; अरे चूतिया थे क्या पलट कर क्यों नहीं मारा सुअरों को। अगर सम्मान से जी नही सकते तो सम्मान की रक्षा के लिये मर तो सकते हैं। आप सब जानते हैं कि एक चैनल पर हमला करा जाता है तो साथ में कवरेज के लिये दूसरे चैनल के चूतिये पत्रकार साथ में रखे जाते हैं फिर दूसरे दिन व्यर्थ का शोरशराबा करा जाता है। ये सब प्रसिद्धि के टोटके नहीं है अगर तो जिसकी अस्मिता पर हमला हुआ है और उसे लगता है कि सरकार और कानून कुछ कर पाने में अक्षम है तो खुद फैसला करे और उन सियारों की मांद में जाकर बम फेंक कर आत्मसमर्पण करे लेकिन उसके लिये रीढ़ की हड्डी मजबूत होनी चाहिये। पोकल हड्डी के लोगों से ऐसी कोई उम्मीद नहीं है ये चैनल वाला मालिक क्या एकदम अपंग,अपाहिज और लुल्ल है? कहेगा कि मुझे संविधान पर आस्था है वो तो अजमल कसाब को भी आस्था है हमारे संविधान पर.....
जय जय भड़ास
जय जय भड़ास
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