दूसरा उदाहरण वंदनीय महान पिता श्री देते हैं भूतपूर्व राष्ट्रपति कलाम का जिन्होंने खुद को मिसाइल मैन कहलवाने में कभी कोई आपत्ति न करी लेकिन उनकी महानता ये कि जितने भी न्यायिक केस राष्ट्रपति के पास विचार के लिए लंबित थे उनकी तरफ अपने पूरे कार्यकाल में एक सेकंड भी न दिया, जस्टिस आनंद सिंह से मुलाकात के विषय में तो सोचने में भी शायद उन्हें बुखार आ जाता था, अब ये बात दीगर है कि हमारे आदरणीय पिताश्री को जस्टिस आनंद सिंह के बारे में पता ही न हो इनके इस भूतपूर्व राष्ट्रपति आदर्श ने देश की सामरिक शक्ति तो बढ़ा दी लेकिन कभी इस दिशा में न सोचा कि जिस देश में लोग अब तक रोटी के सवाल से जूझ रहे हैं वहाँ मिसाइल ज्यादा जरूरी है या अन्य मुद्दे अधिक वरीयता से विचारणीय हैं? जस्टिस आनंद सिंह के बारे में पिता श्री नहीं जानते हैं इसका कारण शायद ये हो सकता है कि ये एक सामाजिक सोच के महान व्यक्ति हैं इसी लिये इन्होंने स्पष्ट लिखा है कि मैं अपनी खोखली काग़जी डिग्रियों की बात न करूं क्योंकि बहुत संभव हो कि M.D. और Ph.D. करे लोग तो इनका शौचालय साफ़ करते होंगे और टट्टी साफ़ करते ऐसी न जाने कितनी कागजी डिग्रियाँ इधर उधर लेकर फेंक देते होंगे।
जय जय भड़ास
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