दोहे और उक्तियाँ !!



हमें करुणावश दूसरों के लिए कार्य नहीं करना है 

परन्तु मनुष्य की सेवा का भाव होना चाहिए, 

 क्योंकि मनुष्य ही भगवान शिव का सत्-स्वरुप है।

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