दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटल के खिलाफ सीबीआई की मामला बंद करने की रिपोर्ट को मंगलवार को मंजूर करते हुए उन्हें भारी राहत प्रदान की। रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट दी गयी है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट राकेश पंडित ने कहा कि टाइटलर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है।
अदालत ने ध्यान दिलाया कि कैलीफोर्निया में रहने वाले गवाह जसबीर सिंह के बयान की कोई प्रासंगिकता नहीं है तथा अन्य गवाह सुरिंदर सिंह के बयान परस्पर विरोधाभासी हैं।
सीबीआई की मामला बंद करने संबंधी रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि मामले में और जांच करने का आदेश देने के लिए कोई आधार नहीं है।
सीबीआई ने कहा कि 66 वर्षीय टाइटलर के खिलाफ आगे जांच करने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि दोनों गवाह़ जसबीर सिंह और सुरिंदर सिंह भरोसेमंद नहीं हैं तथा उनके बयान गलत एवं मनगढ़ंत हैं।
उत्तरी दिल्ली के गुरुद्वारा पुलबंगश के समीप बादल सिंह सहित तीन लोगों के मारे जाने के मामले में टाइटलर की भूमिका की सीबीआई ने फिर से जांच की थी। इससे पूर्व 2007 में अदालत ने एजेंसी की मामले को बंद करने की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया था।
टाइटलर के खिलाफ मामले को बंद करने संबंधी रिपोर्ट का विरोध करते हुए अदालत में अर्जी दाखिल करने वाली बादल सिंह की पत्नी लखविंदर कौर की वकील रेबैका एम जान ने कहा कि वे आदेश को चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि यह अंतिम आदेश नहीं है। हम इसे चुनौती देंगे। इसे सत्र अदालत या उच्च न्यायालय में चुनौती दी जायेगा, इसका फैसला बाद में करेंगे। आदेश पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई ने मामले के समर्थन में जानबूझ कर गवाहों को पेश नहीं किया। उन्होंने कहा कि दलीलों के बाद हमें लगा कि हम अपने पक्ष को स्थापित कर पायेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट राकेश पंडित ने कहा कि टाइटलर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है।
अदालत ने ध्यान दिलाया कि कैलीफोर्निया में रहने वाले गवाह जसबीर सिंह के बयान की कोई प्रासंगिकता नहीं है तथा अन्य गवाह सुरिंदर सिंह के बयान परस्पर विरोधाभासी हैं।
सीबीआई की मामला बंद करने संबंधी रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि मामले में और जांच करने का आदेश देने के लिए कोई आधार नहीं है।
सीबीआई ने कहा कि 66 वर्षीय टाइटलर के खिलाफ आगे जांच करने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि दोनों गवाह़ जसबीर सिंह और सुरिंदर सिंह भरोसेमंद नहीं हैं तथा उनके बयान गलत एवं मनगढ़ंत हैं।
उत्तरी दिल्ली के गुरुद्वारा पुलबंगश के समीप बादल सिंह सहित तीन लोगों के मारे जाने के मामले में टाइटलर की भूमिका की सीबीआई ने फिर से जांच की थी। इससे पूर्व 2007 में अदालत ने एजेंसी की मामले को बंद करने की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया था।
टाइटलर के खिलाफ मामले को बंद करने संबंधी रिपोर्ट का विरोध करते हुए अदालत में अर्जी दाखिल करने वाली बादल सिंह की पत्नी लखविंदर कौर की वकील रेबैका एम जान ने कहा कि वे आदेश को चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि यह अंतिम आदेश नहीं है। हम इसे चुनौती देंगे। इसे सत्र अदालत या उच्च न्यायालय में चुनौती दी जायेगा, इसका फैसला बाद में करेंगे। आदेश पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई ने मामले के समर्थन में जानबूझ कर गवाहों को पेश नहीं किया। उन्होंने कहा कि दलीलों के बाद हमें लगा कि हम अपने पक्ष को स्थापित कर पायेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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