इधर आई पी एल-3 के फाइनल में धोनी और मुंबई इंडियंस की हार जीत का फैसला अपने अंतिम चरण में थी उधर, बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर आई पी एल कमिश्नर ललित मोदी की विदाई का फरमान जारी कर रहे थे। जैसे ही मैच की आखिरी गेंद फेंकी गई, शशांक मनोहर ने मोदी के निलंबन का मेल भेज दिया।
मोदी ने सोमवार को होने वाली संचालन परिषद की बैठक की अध्यक्षता का ऐलान तक कर डाला था। लेकिन बोर्ड ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। बोर्ड ने अपने संविधान की धारा-32 के तहत मोदी के निलंबन की कार्रवाई की है।
मोदी को अपना पक्ष रखने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। सोमवार को होने वाली बैठक की अध्यक्षता निरंजन शाह करेंगे। निलंबन के बाद मोदी बोर्ड की बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे। मोदी ने बोर्ड के इस फैसले पर किसी भी टिप्पणी से इनकार किया।
चेन्नई सुपरकिंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच फाइनल के दौरान ही ऐसे संकेत मिल गए थे कि मोदी के खिलाफ आरोपों की जांच लंबित होने के कारण रात या सुबह दस बजे बैठक शुरू होने से पहले निलंबित किया जा सकता है। इससे पहले ललित मोदी ने आई पी एल ड्रामा को नया मोड़ देते हुए ट्विटर पेज पर लिखा कि मैं अध्यक्ष और आयुक्त के रूप में संचालन परिषद की बैठक में हिस्सा लूंगा और इसकी अध्यक्षता करूंगा। मैंने संचालन परिषद का एजेंडा जारी कर दिया है।
मोदी ने एकल एजेंडा भी जारी किया जिसमे कहा गया कि परिषद के सदस्यों को शिकायतें लिखित में और दस्तावेजी सबूतों के साथ देनी होंगी। सदस्यों से कहा गया कि वे 26 अप्रैल की बैठक में सभी शिकायतों को अध्यक्ष और आयुक्त के पास जमा कराएं, संबंधित दस्तावेज भी दें ताकि जवाब दिया जा सके। दरअसल, एकल एजेंडा उनके खिलाफ लगाए आरोपों पर चर्चा रोकने का प्रयास है।
मोदी के बैठक में हिस्सा लेने की खबरें सामने आने के बाद बीसीसीआई मुख्यालय में अफरातफरी देखने को मिली। बोर्ड सूत्र ने कहा कि बेशक उनके बैठक में हिस्सा लेने का इरादा स्पष्ट करने के बाद रणनीति में कुछ फेरबदल करना होगा लेकिन हमारी रणनीति अब भी उन्हें बाहर करने की है। उसने भारतीय क्रिकेट को काफी शर्मसार किया है। बीसीसीआई के आला अधिकारियों ने इससे पहले यहां बोर्ड मुख्यालय पर बैठक करके मोदी को बर्खास्त करने की रणनीति पर विचार किया। बोर्ड अध्यक्ष शशांक मनोहर, उपाध्यक्ष अरुण जेटली, सचिव एन श्रीनिवासन, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रत्नाकर शेट्टी, मीडिया और वित्त समिति के अध्यक्ष राजीव शुक्ला और आईपीएल उपाध्यक्ष निरंजन शाह ने आज बोर्ड मुख्यायल पर बैठक की जबकि आमतौर पर यह अधिकारियों के लिए छुट्टी का दिन होता है।
लगातार दूसरे दिन मोदी को स्वेच्छा से पद छोड़ने के लिए मनाने का प्रयास हुआ क्योंकि उन्हें बर्खास्त करने पर कारणों की जांच होगी जिसमें कुछ और नुकसान पहुंचाने वाले वित्तीय लेनदेन सामने आ सकते हैं। बीसीसीआई में भले ही मोदी के विरोधियों की भरमार हो गई है लेकिन उन्हें आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों के रूप में समर्थक मिले हैं जिनका मानना है कि वह मीडिया ट्रायल की बलि चढ़ रहे हैं और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। मोदी ने भी बैठक को पांच दिन टालने का आग्रह किया था जिससे कि वह अपना पक्ष रखने की तैयारी कर सकें लेकिन बीसीसीआई ने इसे नकार दिया। मोदी की अनदेखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चैम्पियन्स लीग टवेंटी20 का अध्यक्ष होने के बावजूद लीग ने उनके बिना बैठक की जबकि शुक्रवार को बीसीसीआई के लगभग सभी आला अधिकारियों ने आई पी एल अवार्ड नाइट का बहिष्कार किया। बोर्ड का संविधान इसकी अनुशासन समिति को अधिकार देता है कि वह जांच करे और उन मामलों से निपटे जो किसी खिलाड़ी, अंपायर, टीम अधिकारी, प्रशासक, चयनकर्ता या बीसीसीआई द्वारा नियुक्त या नौकरी पर रखे गए किसी व्यक्ति की अनुशासनहीनता या दुर्व्यवहार या नियमों के उल्लंघन से संबंधित हों। संविधान के मुताबिक अनुशासन समिति को प्रत्येक वार्षिक आम बैठक के दौरान नियुक्त किया जाना चाहिए और इसमें तीन व्यक्ति होने चाहिए जिनमें से एक अध्यक्ष होगा। इस ताकतवर समिति के सदस्यों के बारे में जानकारी नहीं है क्योंकि बोर्ड ने मुंबई में पिछली एजीएम के बाद इस समिति के अलावा अन्य सभी समितियों के सदस्यों के नाम का खुलासा कर दिया था। इसके अलावा बीसीसीआई की नियमावली की उपधारा चार में प्रशासक द्वारा अनुशासनहीनता और दुर्व्यवहार से निपटने के लिए नियम है। इसके मुताबिक बीसीसीआई का कोई प्रशासक अगर कोई अनुशासनहीनता या दुर्व्यवहार या ऐसा काम करता है जो बोर्ड के हित या क्रिकेट के खेल या सद्भाव को खतरे में डालता है या बोर्ड के हित या ख्याति पर असर डालता है या बोर्ड की बनाई नियमावली के किसी नियम को मानने से इंकार करता है या इसकी अनदेखी करता है तो सचिव, अध्यक्ष की सलाह से इस व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी करके जवाब देने को कह सकता है।
इस मामले को अनुशासन समिति के पास भेजा जाएगा जो सुनवाई करेगी और अपनी रिपोर्ट बीसीसीआई को सौंपेगी जो इसके बाद विशेष आम बैठक बुलाएगी जो फिर मौजूद सदस्यों के तीन चौथाई बहुमत और वोटिंग से उचित फैसला करेगी।
अगर कोई प्रशासक दोषी पाया जाता है और इसके कारण उसे निलंबित कर दिया जाता है तो वह बोर्ड के किसी पद पर काबिज नहीं हो सकता और उसे किसी समिति में शामिल नहीं किया जा सकता। यह बर्खास्त व्यक्ति तीन साल के बाद वापसी कर सकता है लेकिन इसके लिए उसे दोबारा शामिल करने के लिए आम सभा की बैठक में वोटिंग के दौरान तीन चौथाई बहुमत मिलना चाहिए। ऐसी जांच लंबित होने तक यह व्यक्ति अध्यक्ष द्वारा अंतिम निर्णय आने तक बोर्ड की दिनचर्या में शामिल होने से निलंबित रहेगा। यह प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरी की जाएगी।
मोदी ने सोमवार को होने वाली संचालन परिषद की बैठक की अध्यक्षता का ऐलान तक कर डाला था। लेकिन बोर्ड ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। बोर्ड ने अपने संविधान की धारा-32 के तहत मोदी के निलंबन की कार्रवाई की है।
मोदी को अपना पक्ष रखने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। सोमवार को होने वाली बैठक की अध्यक्षता निरंजन शाह करेंगे। निलंबन के बाद मोदी बोर्ड की बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे। मोदी ने बोर्ड के इस फैसले पर किसी भी टिप्पणी से इनकार किया।
चेन्नई सुपरकिंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच फाइनल के दौरान ही ऐसे संकेत मिल गए थे कि मोदी के खिलाफ आरोपों की जांच लंबित होने के कारण रात या सुबह दस बजे बैठक शुरू होने से पहले निलंबित किया जा सकता है। इससे पहले ललित मोदी ने आई पी एल ड्रामा को नया मोड़ देते हुए ट्विटर पेज पर लिखा कि मैं अध्यक्ष और आयुक्त के रूप में संचालन परिषद की बैठक में हिस्सा लूंगा और इसकी अध्यक्षता करूंगा। मैंने संचालन परिषद का एजेंडा जारी कर दिया है।
मोदी ने एकल एजेंडा भी जारी किया जिसमे कहा गया कि परिषद के सदस्यों को शिकायतें लिखित में और दस्तावेजी सबूतों के साथ देनी होंगी। सदस्यों से कहा गया कि वे 26 अप्रैल की बैठक में सभी शिकायतों को अध्यक्ष और आयुक्त के पास जमा कराएं, संबंधित दस्तावेज भी दें ताकि जवाब दिया जा सके। दरअसल, एकल एजेंडा उनके खिलाफ लगाए आरोपों पर चर्चा रोकने का प्रयास है।
मोदी के बैठक में हिस्सा लेने की खबरें सामने आने के बाद बीसीसीआई मुख्यालय में अफरातफरी देखने को मिली। बोर्ड सूत्र ने कहा कि बेशक उनके बैठक में हिस्सा लेने का इरादा स्पष्ट करने के बाद रणनीति में कुछ फेरबदल करना होगा लेकिन हमारी रणनीति अब भी उन्हें बाहर करने की है। उसने भारतीय क्रिकेट को काफी शर्मसार किया है। बीसीसीआई के आला अधिकारियों ने इससे पहले यहां बोर्ड मुख्यालय पर बैठक करके मोदी को बर्खास्त करने की रणनीति पर विचार किया। बोर्ड अध्यक्ष शशांक मनोहर, उपाध्यक्ष अरुण जेटली, सचिव एन श्रीनिवासन, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रत्नाकर शेट्टी, मीडिया और वित्त समिति के अध्यक्ष राजीव शुक्ला और आईपीएल उपाध्यक्ष निरंजन शाह ने आज बोर्ड मुख्यायल पर बैठक की जबकि आमतौर पर यह अधिकारियों के लिए छुट्टी का दिन होता है।
लगातार दूसरे दिन मोदी को स्वेच्छा से पद छोड़ने के लिए मनाने का प्रयास हुआ क्योंकि उन्हें बर्खास्त करने पर कारणों की जांच होगी जिसमें कुछ और नुकसान पहुंचाने वाले वित्तीय लेनदेन सामने आ सकते हैं। बीसीसीआई में भले ही मोदी के विरोधियों की भरमार हो गई है लेकिन उन्हें आईपीएल फ्रेंचाइजी मालिकों के रूप में समर्थक मिले हैं जिनका मानना है कि वह मीडिया ट्रायल की बलि चढ़ रहे हैं और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। मोदी ने भी बैठक को पांच दिन टालने का आग्रह किया था जिससे कि वह अपना पक्ष रखने की तैयारी कर सकें लेकिन बीसीसीआई ने इसे नकार दिया। मोदी की अनदेखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चैम्पियन्स लीग टवेंटी20 का अध्यक्ष होने के बावजूद लीग ने उनके बिना बैठक की जबकि शुक्रवार को बीसीसीआई के लगभग सभी आला अधिकारियों ने आई पी एल अवार्ड नाइट का बहिष्कार किया। बोर्ड का संविधान इसकी अनुशासन समिति को अधिकार देता है कि वह जांच करे और उन मामलों से निपटे जो किसी खिलाड़ी, अंपायर, टीम अधिकारी, प्रशासक, चयनकर्ता या बीसीसीआई द्वारा नियुक्त या नौकरी पर रखे गए किसी व्यक्ति की अनुशासनहीनता या दुर्व्यवहार या नियमों के उल्लंघन से संबंधित हों। संविधान के मुताबिक अनुशासन समिति को प्रत्येक वार्षिक आम बैठक के दौरान नियुक्त किया जाना चाहिए और इसमें तीन व्यक्ति होने चाहिए जिनमें से एक अध्यक्ष होगा। इस ताकतवर समिति के सदस्यों के बारे में जानकारी नहीं है क्योंकि बोर्ड ने मुंबई में पिछली एजीएम के बाद इस समिति के अलावा अन्य सभी समितियों के सदस्यों के नाम का खुलासा कर दिया था। इसके अलावा बीसीसीआई की नियमावली की उपधारा चार में प्रशासक द्वारा अनुशासनहीनता और दुर्व्यवहार से निपटने के लिए नियम है। इसके मुताबिक बीसीसीआई का कोई प्रशासक अगर कोई अनुशासनहीनता या दुर्व्यवहार या ऐसा काम करता है जो बोर्ड के हित या क्रिकेट के खेल या सद्भाव को खतरे में डालता है या बोर्ड के हित या ख्याति पर असर डालता है या बोर्ड की बनाई नियमावली के किसी नियम को मानने से इंकार करता है या इसकी अनदेखी करता है तो सचिव, अध्यक्ष की सलाह से इस व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी करके जवाब देने को कह सकता है।
इस मामले को अनुशासन समिति के पास भेजा जाएगा जो सुनवाई करेगी और अपनी रिपोर्ट बीसीसीआई को सौंपेगी जो इसके बाद विशेष आम बैठक बुलाएगी जो फिर मौजूद सदस्यों के तीन चौथाई बहुमत और वोटिंग से उचित फैसला करेगी।
अगर कोई प्रशासक दोषी पाया जाता है और इसके कारण उसे निलंबित कर दिया जाता है तो वह बोर्ड के किसी पद पर काबिज नहीं हो सकता और उसे किसी समिति में शामिल नहीं किया जा सकता। यह बर्खास्त व्यक्ति तीन साल के बाद वापसी कर सकता है लेकिन इसके लिए उसे दोबारा शामिल करने के लिए आम सभा की बैठक में वोटिंग के दौरान तीन चौथाई बहुमत मिलना चाहिए। ऐसी जांच लंबित होने तक यह व्यक्ति अध्यक्ष द्वारा अंतिम निर्णय आने तक बोर्ड की दिनचर्या में शामिल होने से निलंबित रहेगा। यह प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरी की जाएगी।
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