भारतवर्ष के लिए बलिदान हुए खुदीराम ,भगत सिंह ,राजगुरु और सुखदेव . क्या
आज उनके शहादत की कोई अहमियत नहीं रह गयी है ? ये प्रश्न मैं यूँ हीं
नहीं कह रहा हूँ . आज देश के हालात हीं इस बात की हकीकत बयाँ कर रहे हैं
. शहीदों के स्मारकों की व्यवस्था दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है .
स्वतंत्रता आंदोलन के अमर सेनानी शहीद खुदीराम बोस से जुडे ऐतिहासिक
स्थलो की बदहाली का मामला प्रकाश में आया
है . बिहार विधान सभा में शून्यकाल के दौरान बिधायक किशोर कुमार ने
सरकार से उन स्थलो को राष्टीय स्मारक के रूप में विकसित करने की मांग की
है . फांसी के बाद शहीद खुदीराम बोस का मुजफ्फरपुर के बर्निंगघाट पर
अंतिम संस्कार किया गया था लेकिन उस स्थल पर शौचालय बना दिया गया है. इसी
तरह किंग्सफोर्ड को जिस स्थल पर बम मारा गया था . उस स्थल पर मुर्गा
काटने और बेचने का धंधा बेरोकटोक चल
रहा है . शहीदों के प्रति घोर अपमान का यह आपराधिक कृत्य बेहद निंदनीय
है . किशोर कुमार ने राज्य सरकार से इस मामले को गंभीरता से लेने और
शहीद खुदीराम बोस से जुडे ऐतिहासिक स्थलो को संरक्षित कर पर्यटक धरोहर और
राजकीय स्मारक के रूप में विकसित करने की मांग की ताकि आने वाली पीढी
इससे प्रेरणा ले. आजकल की पीढ़ी में उपेक्षा का भाव पैदा ना हो इसके लिए
इस तरह की लापरवाहियों पर उचित
ध्यान देते हुए एक राष्ट्रीय समिति गठित की जानी चाहिए .
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3 comments:
nice post.......
वाह वाह मयंक बाबू इसे भी नाइस पोस्ट बता रहे हैं। हद हो गयी बेशर्मी की.... निर्लज्ज हैं वो लोग जो खुलेआम ऐसा कर रहे हैं दूसरे वो लोग हैं जो कि इसकी रिपोर्ट तैयार करके समितियाँ गठित कर रहे हैं और अपेक्षा रखते हैं कि भावी पीढियों के मन में शहीदों के लिये उपेक्षा का भाव न हो। अरे जरा सी भी शर्म है तो बम से उड़ा दो उस जगह को ताकि शहीदों के दिये जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना हो सके(ये अंदाज है हमारे डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी का)
जय जय भड़ास
शहीदों के शहादत को भुनाने वाले मलाई खा रहे हैं, अपने ज़माने के गद्दार मंत्री संतरी हैं.
इस देश का ये ही इतिहास रहा है, बहादुरों की भारत भूमि पर हमेशा गद्दारों ने कील ठोकी है.
जय जय भड़ास
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