दोहे और उक्तियाँ !



तरुवर सरवर संत जन चौथे बरसे मेह। 

परमारथ के कारणे चारों धारें देह।।


(कबीर)
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1 comment:

alka sarwat said...

दोहा तो बढ़िया लिखा आपने
बधाइयाँ

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