अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चीनी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात में तिब्बत को चीन का हिस्सा करार दिया है। साथ ही उन्होंने निर्वासित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और बीजिंग जल्द ही बातचीत शुरू किए जाने पर जोर दिया।
चीन यात्रा पर आए बराक ओबामा ने मंगलवार को राष्ट्रपति हू जिंताओ से द्विपक्षीय संबंधों और परस्पर हितों से जुडे़ वैश्रि्वक मसलों पर बातचीत की।
इस दौरान तिब्बत को चीन का हिस्सा करार देते हुए उन्होंने बीजिंग तथा निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के प्रतिनिधियों के बीच जल्द बातचीत शुरू किए जाने का समर्थन किया।
ओबामा ने कहा कि हम तिब्बत को चीन गणराज्य के हिस्से के रूप में मान्यता देते हुए उल्लेख करते हैं कि अमेरिका दलाई लामा के प्रतिनिधियों और बीजिंग के बीच जल्द बातचीत शुरू होने का समर्थन करता है।
तिब्बत पर 1950 के दशक के उसी समय से चीन का शासन है जब उसके सैनिकों ने इसे अपने कब्जे में ले लिया था। चीन दलाई लामा पर अक्सर आरोप लगाता रहा है कि वह तिब्बत को देश के शेष हिस्से से अलग कराने के लिए अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।
वर्ष 1959 में चीनी शासन के खिलाफ विफल विद्रोह के बीच भागकर भारत आए 74 वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं।
दलाई लामा के दूत और चीनी अधिकारियों के बीच गत वर्ष जुलाई में हुई बातचीत बेनतीजा रही थी क्योंकि चीन ने दलाई लामा के सामने यह साबित करने की मांग रख दी थी कि वह तिब्बत की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करते।
वर्ष 2002 से लेकर गत वर्ष जुलाई तक दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीन के बीच यह सातवीं बातचीत थी। तिब्बत की राजधानी ल्हासा में बड़े पैमाने पर हुए दंगों के बाद इस साल दोनों पक्षों के बीच संबंध काफी बिगड़ गए। दंगों में सैकड़ों दुकानें जला दी गईं और चीनी नागरिकों पर हमले किए गए।
कम्युनिस्ट देश की पहली राजकीय यात्रा पर यहां आए ओबामा ने ईरान को चेतावनी दी कि यदि वह अपने परमाणु कार्यक्रम पर व्यापक खुलापन प्रदर्शित करने में विफल रहा तो उसे परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि ईरान के पास अपने शांतिपूर्ण इरादों को प्रस्तुत और प्रदर्शित करने का एक अवसर है लेकिन यदि वह इस अवसर को हासिल करने में विफल रहता है तो परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
2 comments:
bahut achcha laga yeh aalekh......
ये सिर्फ़ भारत की कमज़ोरी के चलते हुवा है .........
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