जिस तरह मुनव्वर आपा ने अपने आसपास के परिवेश में सामाजिक व शैक्षणिक सक्रियता दिखायी और दुनिया की पहली महिला उर्दू(नस्तालिक) ब्लागर होने की ऊंचाई हासिल करी है उससे कुछ ईर्ष्यालु लोग अकारण जले भुने जा रहे हैं। मुझे याद है जब आपने पहली बार भड़ास पर अपनी उपस्थिति दर्शाई थी तो एक टुच्चे ने कहा था कि डा.रूपेश श्रीवास्तव ही हैं जो कि नाम बदल कर लिख रहे हैं दरअसल मुनव्वर सुल्ताना नाम की कोई शख्सियत नहीं है और यही हुआ था मनीषा दीदी के साथ जब उनके नाम से मिलते नाम की एक महिला पत्रकार ने डा.रूपेश श्रीवास्तव पर आरोप लगाया था कि भड़ासी उस मनीषा पांडे को सताने के लिये मनीषा नारायण नाम का लैंगिक विकलांग(हिजड़ा) काल्पनिक चरित्र गढ़े हुए हैं। समय आगे बढ़ता गया और भड़ासी बिना इन अवरोधों की परवाह करे आगे बढ़ते गये। भड़ास ने अपना अस्तित्त्व सिद्ध कर दिया कि हम हैं।
"माना कि एक क़तरा हूं मैं, मेरा वज़ूद तो है
होगा कोई सागर कहीं तलाश में मेरी"
मुनव्वर आपा ने भड़ास के मंच पर अपनी उपस्थिति के साथ ही आदरणीय डा.रूपेश श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में अपना ब्लाग "लंतरानी" (http://lantrani.tk) शुरू करा। उर्दू की लिपि के कारण बहुत तकनीकी दिक्कतें आयी साथ ही अपने साथ हितैषी का मुखौटा लगा कर खड़े कई लोगों के असल चेहरे भी सामने आए जो नहीं चाहते थे कि एक मुस्लिम औरत ब्लागिंग करके इंटरनेट पर अपने विचार रखे। इन सबके मुंह पर कालिख पुती हुई है और इनकी छाती पर सांप लोट रहे हैं ये देख कर कि "वुमेन औन टौप" मैगजीन ने इन पर स्टोरी करके बताया कि वे दुनिया की पहली महिला उर्दू(नस्तालिक) ब्लागर हैं। हम ईश्वर से मुनव्वर आपा के अच्छे स्वास्थ्य और सफ़लता की प्रार्थना करते हैं। वे इसी तरह से अपने क्षेत्र में सदा-सर्वदा प्रकाशवान रहें और अन्य लोगों को प्रेरणा देती रहें। हमारा सौभाग्य है कि वे हमारे साथ हैं और उनका प्रेम व आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहता है। आप सदा हंसते-मुस्कराते हुए हम सबको परेशानियों पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देती रहें।
जय मुनव्वर आपा
जय जय भड़ास
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