अगर किसी ने साहसिक हिम्मत करके पत्र्कारिते को साबित करने की कोशिश की तो इस बाबा ने अपनी शक्ती का इस्तेमाल कर पत्रिका को ही बाजार से उठवालियाजी हाँ मैं बात कर रहा हूँ दिल्ली से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक इंडिया न्यूज़ की। वंदना भदौरिया की इस खोजपरक रिपोर्ट जिस पर तहलका मच सकता था का यह अंक शत प्रतिशत बिका मगर आन लोगों के पास गया ही नही,
भड़ास मीडिया कुकृत्यों की भर्त्सना करने के साथ साथ जहाँ आवाज भी बुलंद करता है वहीँ सच्चाई के साथ किए गए पत्रकारिता के लिए लड़ता भी है।
इस ढोंगी ने भले ही इस पत्रका को बाजार से गायब कर दिया हो मगर भड़ास इस पत्रिका के इस विशेष लेख को पाठकों तक पहुँचने की जिम्मेदारी लेता है।
आप इसे पढिये और अगले पोस्ट में इस से आगे के लेख का इन्तजार कीजिये।
जय हिंद
जय भारत
जय जय भड़ास
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