माफ़ी चाहूँगा की इस बार देर से उपस्थित हुआ, मगर हुआ और अपने जरी अंको को पुरा करूँगा, आप सभी ने देखा की दिल्ली से साप्ताहिक पत्रिका ने बाबा रामदेव के कृत्यों को सामने लाने के लिए पत्रकारिता को पीछे लगाया, चौकस और इमानदार पत्रकार सुश्री वंदना भदौरिया ने पाखंडी बाबा रामदेव की सच्चाई को अपने पत्रिका में आवरण बना कर प्रकाशित किया, मगर ये धूर्त चाहता कहाँ है की कोई इसके पाखंड से वाकिफ हो सो पत्रिका ही बाजार से गायव करवा दिया,
ख़बर जिसे बाबा और उसके गुर्गों ने दबा दिया।
भड़ास का वादा था और वादा पुरा करते हुए हम आगे की कड़ी और पिछली कड़ी के लिंक के साथ फिर से हाजिर हैं।
बाबा के और करतूतों पर रौशनी डालने हम फ़िर से हाजिर होंगे।
No comments:
Post a Comment