आज तक मैं मुनव्वर आपा को एक तेज तर्रार भड़ासिन के रूप में पहचानता था। कभी उनसे मुलाकात का सौभाग्य नहीं हो पाया। उनकी लेखनी की प्रखरता तो बस कमाल की है। उनका लिखना मैं एक लम्बे समय से पढ़ता आ रहा हूं, सच कहूं तो भड़ास से जुड़ने की प्रेरणा ही उनका लेखन रहा है। आज पत्नी के लिये "वूमेन औन टौप" नाम की पत्रिका लेकर आया तो पन्ने पलटने पर अंदर देखा कि मुनव्वर आपा के ऊपर मिसाल-बेमिसाल नामक स्तंभ में प्रकाशित हुआ है। मैं भड़ास पर उनका चित्र हजारों बार देख चुका हूं तो पहचानने में कैसे चूक हो सकती थी लेकिन एक आश्चर्य भी हुआ कि क्या लोग भड़ासियों को भी तवज्जो देते हैं। एक बड़ी बात पता चली कि हमारी आदरणीय मुनव्वर आपा दुनिया की पहली उर्दू(नस्तालिक लिपि) की महिला ब्लागर हैं। एक बात और काबिले तारीफ़ है कि उनका बेटा भी भड़ास पर है और बेटी भी दोनो बादशाह बासित और फ़रहीन नाज के नाम से लिख रहे हैं। कमाल का परिवार है न? इन दोनो को भी मैं भड़ास पर तस्वीर देख कर ही पहचानता हूं, इस ब्लागर परिवार से मिलना चाहता हूं। मुनव्वर आपा के ब्लाग "लंतरानी" भी कई बार जाता हूं ताकि उर्दू ट्यूटोरियल पर चल रहे वीडियोज़ से उर्दू सीख सकूं, जिन्हें कि मुनव्वर आपा खुद सिखा रही हैं। एक बार फिर आपा को इस अप्रितम उपलब्धि पर हार्दिक बधाई हो।
जय जय भड़ास
No comments:
Post a Comment