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प्रधानमंत्री जी ,
रेल मंत्री पद पर सुश्री ममता बनर्जी आसीन हैं । रेल
विभाग की हालत
यह हो गई है कि प्रतिदिन अखबार के मुख्य पृष्ट
से ज्ञात होता है कि कोई न कोई दुर्घटना हो गई
है ।
आज के अखबार में छपा है कि गोरखधाम एक्सप्रेस ट्रक से टकराया या आए दिन ट्रेन टे्क्टर भिडंत में 4 मरे", "ओवर स्पीडिंग से मंडोर एक्सप्रेस पलटी, 7 मरे ", "मालगाड़ी पलटी रेल मार्ग ठप " के शीर्षक से समाचार प्रकाशित होते रहते हैं । मुझे भी अम्बाला से लखनऊ तक की यात्रा का अच्छा अनुभव इस बीच में हुआ।
स्लीपर क्लास के डिब्बे में चार शौचालय होते हैं चारो टूटे-
फूटे थे।
उनके दरवाजे टूटे थे,
पानी नदारद था यात्री सुविधाएं शून्य थी ।
हाँ हर बड़े स्टेशन पर चेकिंग स्टाफ आकर यात्रियों से वसूली जरूर कर रहा था ,
जुर्माने कर रहे थे।
रेलवे के अधिकारीयों से बात करने पर यह भी पता चला कि टै्फिक स्टाफ बहुत कम है जो स्टाफ है उससे 18-
18 घंटे कार्य लिया जा रहा है जिससे उनकी
कार्यकुशलता में कमी आ रही है एक स्टेशन मास्टर ने बताया कि उनकी ड्यूटी पीरीयड़ में 200 ट्रेनों को पास कराना होता है ।
साँस लेने की फुर्सत नही होती है ऐसे समय में मानवीय चूक तो होगी ही ।
रेल मंत्री सुश्री ममता बनर्जी के पास रेल मंत्रालय के लिए वक्त नही है।
ममता बनर्जी की इच्छा है कि बंगाल की वाम मोर्चा सरकार को किसी भी तरीके से हटा कर स्वयं मुख्य मंत्री बने । उनकी
इच्छा पूर्ति के लिए उन्हें
वाम मोर्चा सरकार हटाओ मंत्री बना दें ।
किसी दूसरे व्यक्ति को रेल मंत्रालय देखने की लिए दे दीजिये ।
रेल में सफर करने का यह मतलब यह
नही है कि आप भू लोक से लोगो को बिना टिकट स्वर्ग लोक भेजने का कार्य करें ।
सुमनloksangharsha.blogspot.com
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