हो रहा आचरण का निरंतर पतन राम जाने कि क्यों राम आते नहीं ! हैं।
जहाँ भी कहीं हैं दुखी साधुजन लेके उनकोशरण क्यों बचाते नहीं ! है
सिसकती अयोध्या दुखी नागरिक कट गये चित्रकूटों के रमणीक वन
स्वर्णमृग चर रहे दण्डकारण्य को पंचवटियों में बढ़ गया है अपहरण .........................
आगे पढने के लिए किर्पया मेरे ब्लॉग http://wwwdarddilka.blogspot.com/ पर दस्तक दे आप को विनम्रता पुर्वक पूर्ण कविता पेश की जायगी
2 comments:
अमित भाई पूरी कविता का रसास्वादन करा आपके ब्लाग पर जाकर..... अपना संपर्क मोबाइल नं. sms कर दीजिये ...मेरा नं. है 09224496555
जय जय भड़ास
बढिया है भाई,
आप लेखनी जारी रखियी.
जय जय भड़ास
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