भड़ास का नया यु आर एल, अब भड़ास का पता लिखना आसान।

www.bharhaas.blogspot.com के साथ www.bhadas.tk अब अपने भड़ास का आसान पता है।
दोस्तों, भड़ास अपनी आत्मा और चिंतन के साथ नए पते के साथ सामने आया, हमने नए भड़ास में विचारों के माध्यम से आम लोगों की आत्मा को जोड़ने का प्रयास किया। जहन पंखे वाले भड़ास लाला जी की दुकानमें तेल साबुन की तरह लेखकों की भावना और सम्मान बेचने की जगह बनता जा रहा है वहीँ विचारों की आजादी और स्वतन्त्रता के साथ सबको अपनी बात बिना किसी हस्तक्षेप के रखने के साथ उस पर विचार कर सम्मिलित प्रयास का सार्थक मंच बनने की हमारी कोशिश जारी है।
पंखे वाले भड़ास जो लोगों के विचार का बलात्कार कर bhadas4media और pradhanjii.com नामक दुकान खोलने की जुगत के साथ भडासियों का भरपूर उपयोग कर रहा है ने ही विचार की क्रांति के इस नये भड़ास को जन्म दिया जिसने भड़ास को जिया और मूर्त रूप दिया वो भड़ास की आत्मा के साथ पंखे को छोर धरातल पर आ गए।
हमने भड़ास के आसान यु आर एल आपके सामने रखे हैं जिससे आप सीधे भड़ास के पन्ने पर जा सकते हैं।
जय जय भड़ास

5 comments:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा said...

रजनीश भाई यानि कि बनिए राम को एक और झटका.... आप पर वैसे भी बनिए का इल्जाम है कि आप अपनी तकनीकी योग्यता का इस्तेमाल करके पंखॊ वाली बनिया ब्रांड भड़ास
से छोटे-छोटे टेबल पैन चुरा रहे हैं और अब तो आप उसकी बैंड ही बजाए दे रहे हैं। अब बेचारा हड़बड़ा कर पता नहीं क्या-क्या करेगा,आपसे धमकाने वाले सुर में कहा था कि आप लोग हमें गरीब की जोरू समझते हैं क्या... लेकिन गरीब की जोरू भी कम से कम आत्मा तो तो नहीं बेचती होगी लेकिन इसने तो अपनी आत्मा तक बेच दी है और अभी भी भड़ासी होने का नाटक रचाए बैठा है।
जय जय भड़ास

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

चलो भाया खुसी की बात सै कि अब चाहे एड्रेस बार पर bharhaas.blogspot.com या www.bhadas.tk या फिर bhadas.tk लिखिये खुलेगा यही पन्ना कोई अलग दुकान नहीं होगी। भड़ास की आत्मा ने जन्म लेने के बाद अपना मूल स्वरूप ग्रहण करना शुरू कर दिया है।
शुभकामनाएं
जय जय भड़ास

मनोज द्विवेदी said...

Ye bahut sahi kaam hua hai. unko jhataka lagna chahiye.hum is bhadas ko janata ki aas se jodenge.nakalachiyon ka nakab nikalana hi padega.
SUKRIYA.. RAJNISH BHAI

भूमिका रूपेश said...

ओए रजनीश मामू तुस्सी ग्रेट हो.... डांड़ी मारने वाले बनिये को तो जुलाब और मलेरिया एक साथ हो गया होगा बेचारा बौखला कर कहीं आपसे भिड़ न जाए, ध्यान रखना कि कहीं तराजू और बांट फेंक कर न मार दे इससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकता...
जय जय भड़ास

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

बस बस, मुझे चने के झाड़ पर चढाना बंद कीजिये, और लेखनी जारी रखिये कि हमारा क्रांति का मंच स्थूल न होने पाये.

जय जय भड़ास

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