संजय सेन सागर
सरकार मीडिया पर पाबन्दी की बात करती है ,जो निश्चित रूप से जायज नहीं है लेकिन सरकार से क्या सोचकर इस तरह का कदम उठाया है यह जानना भी तो हम मीडिया वालों का कर्तव्य बनता है तो इसी कड़ी में सबसे पहेले हमे अपने गिरेबान में झाँकने की जरुरत है क्यों की आज देश में ऐसे पत्रकारों की संख्या कम नहीं है जिन्होंने मीडिया को कमाई का एक अड्डा बना लिया है,चाहे बह कमाई का तरीका जायज हो या नहीं,चाहे उससे मीडिया की आबरू पर बनती हो या नहीं !!!अब जब मीडिया पर बन आई तो हमारी बोलती बंद हो गयी लेकिन हमने भी तो कुछ ऐसे कदम उठाये है जो इतने जरुरी नहीं थे,या फिर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ थे! मुंबई का ताजा काण्ड हो या किसी बेगुनाहों को स्टिंग आपरेशन में फ़साने का चक्कर मीडिया नंबर वन है!! न्यूज़ चैनल आज ऐसे नजर आते है जैसे व्यस्कों का चैनल हो,चूमाचाटी के सिवा कुछ इनके पास नहीं है !!कही बम फटा तो इनके यहाँ केक कटा...TRP बढ़ जायेगी..पैसे लेकर सरकार की तारीफ करवा लो या बुराई!! आज अख़बारों में आप एक बिज्ञापन दे दो फिर सारे पत्रकार आपके है..आपके दोस्त है चाहे आप डान्कू क्यों हो !!अब इस तरह के कानून बनाकर सरकार हम पर कुछ इस तरह से ही तो लगाम कसना चाहती है जो हमे उचित नहीं लगता..लेकिन क्या करे सरकार को भी तो हमारा हर कदम जायज नहीं लगता इसलिए सबसे पहेले जरुरत है तो मीडिया के सिद्धांतों पर चलने की हम सब जानते है की यह हालत कुछ ही पत्रकारों की है बांकी सब अच्छे है लेकिन क्या करे साब ,एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है,सो अब बारी है तलब को साफ़ करने की...चलिए अभी से इसी काम में लग जाते है !!!
3 comments:
संजय भाई,मछली गंदी...तालाब गंदा...नदियां गंदी... समुद्र गंदा...मगरमच्छ गन्दे...घड़ियाल गन्दे... सब गंदा गंदा है क्या करा जाए? कोई विकल्प है सफ़ाई का? चलिये प्रयास शुरू करते हैं...
जय जय भड़ास
भाई,आपने जो लिखा मैं उससे शत-प्रतिशत सहमत हूं। मीडिया पर लगाम हो लेकिन लगाम किसके हाथ में रहे ये भी निर्धारित करना जरूरी है क्योंकि जिसके हाथ में ये लगाम रहेगी वो कभी न कभी इसे अपने हिसाब से मोड़ना चाहेगा क्योंकि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका तीनो स्तम्भ गले तक भ्रष्ट आचरण में डूबे हैं....
समस्या है लेकिन समुचित हल क्या है???
जय जय भड़ास
संजय जी कड़क और फाड़ू पोस्ट है....
जय जय भड़ास
Post a Comment