मेरा दिल कहता है कि मुझसे सभी जबलपुरिया ब्लॉगर अपरिहार्य कारणों से एकाएक नाराज हो गए है खैर कोई बात नही...एक ब्लॉगर की गन्दी हीन भावना और राजनीति/साजिश के चलते मुझे ब्लॉग जगत में दफ़न करने की तैयारी चल रही है कि मै ब्लागिंग बंद कर दूँ ....आगे देख जाएगा .....पर मेरी आवाज तो दबा नही सकते है मात्र मेरी छबि जरुर ख़राब कर रहे है .....कभी मैंने किसी को कुछ ग़लत लिखा नही है ,,,यह सभी अच्छी तरह से जानते है मैंने ब्लागजगत में किसी के ऊपर टीका टिप्पणी नही की है . करीब ढाई वर्षो से मै निस्वार्थ भाव से अपने शहर और सभी सुधिजनो की भावना के अनुरूप कर रहा हूँ और आप सभी का निरंतर स्नेह प्यार मिल रहा है जिसके कारण मै ब्लागिंग जगत में जीवित हूँ और आप सभी से आशा करता हूँ कि भविष्य में आपका स्नेह मुझे लगातार मिलता रहेगा.
शहर के सुधिजनो का स्नेह न मिले
पर आपके प्यार स्नेह का आकाक्षी हूँ
लोग चाहेंगे कुछ और भी अंट शंट
रोक न पाएंगे मेरी कलम की धार को.
आज बसंत पंचमी को मेरे मन में विचार आया क्यो न अपने बाहर के ब्लॉगर भाई बहिनों के ब्लॉग की चिठ्ठा चर्चा कर लूँ . आप सभी को बाँट रहा हूँ
स्वप्नलोक - बसंत पंचमी पर भाई विवेक सिह जी ने शतक पूरा किया बधाई खूब लिखे ....
सीमा गुप्ता जी की पोस्ट "फर्ज निभाने को है"
तन्हाइयों ने फ़िर
बीज तेरी यादो के रोपे
मन के बंजर खलिहानों मे
घावो की पनीरी अंकुरित हुई
..... सीमाजी की रचना में दर्द का एहसास होता है ...देखे "कुछ लम्हे"
प्रमोद रंजन जी "संशयात्मा"
कहते है . निराला की जयंती पर यह प्रश्न स्वभाविक है कि आज उन्हें कैसे पढ़ा जाए, उनके साहित्य में मूल रूप से किन मूल्यों की स्थापना दिखती है? बहुत ही विचारणीय मुद्दे की बात उकेरी है ....
हिन्दी काव्य मंच....भाई मनोरिया जी कहते है
फैशन की दुनिया में जबरदस्त कमाल है
अल्पता और लघुता से आया हुआ भूचाल है
आगे आगे देखिये हर काम माइक्रो हो जायेगे जी .......
डाक्टर विजय तिवारी "किसलय" की कलम से - डॉ श्री राम ठाकुर "दादा" का स्मरण आते ही एक सरल और सहज व्यक्तित्व कि छवि मानस पटल पर उभर आती है. मुझे विश्वास है कि उन्हें जानने वाला हर एक शख्स ऐसा ही सोचता होगा . व्यक्तित्व और कृतित्व के मिले जुले प्रतिफल ने ही उन्हें साहित्य के प्रतिष्ठित स्थान तक पहुँचाया है। । भाई तिवारी जी आपने अपनी पोस्ट में श्री राम ठाकुर "दादा" का उल्लेख कर उनकी यादे जेहन में फ़िर से तरोताजा कर दी . दादा श्री राम ठाकुर देश के प्रसिद्द व्यंगकार और कवि थे जिनकी व्यंग्य लेखन का कोई सानी नही है .
तस्लीम का जादू - भाई बताये ये कौन सी पहेली बूझो तो जाने नही बूझे तो विजेताओं को बधाई जरुर दे . .....
दिल की बात" में डाक्टर अनुराग आर्य जी ने कुछ इस तरह से अपने भाव व्यक्त किए
अपने अपने तर्कों से गुजरते हुए ......भाई जी अहंकारी ही सम्मान न पाकर आहत होता है ........
"पत्रकार के सम्मान में जूते की कलाकृति" दादा राज भाटिया जी 'पराया देश' में कहते है ........जूता प्रसिध्ध हो गया है ....इरान में बस जूते का स्मारक बनना और शेष है
चलते चलते इन्हे भी परखे एक लाइना....
गाँव देहात में सरस्वती पूजा .....
चमचो को चरण स्पर्श नेताओँ को वंदन जांच की चिता पर लोकतंत्र का चंदन मकरंद भैय्या कह रहे है यहाँ टपका मारे जी
झूठा सच फोटो लगाओ और फोटो उतारो
मोहन जी का मन तिड़क कर है वाह भाई ऐसा ...क्यो
भावना जी मीठा भात भूल गई क्या मीठा भात खास ही दिन बनता है
देश का क्या होगा हमारे भाई योगेन्द्र जी ऐसा सोच रहे है जैसन चल रहा है वैसन ही चलेगा ....
ये है इंडिया मेरी जान ....सचिन मिश्रा क्या करे आवाम जब नींद की गोली न दे रही हो साथ .....
हमारा रतलाम जहाँ वरिष्ट नागरिको को फेक्चर कराने की पूर्ण व्यवस्था है .......की एक बार तोड़ दो तो दुबारा न आए एक कटाक्ष
चिठ्ठा चर्चा को विराम देते हुए
सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को बसंत पंचमी पर्व की हार्दिक शुभकामना
महेन्द्र मिश्र,जबलपुर.
3 comments:
आदरणीय मिश्रा जी, समयचक्र किसी के प्रयत्नों से रुकता नहीं है। आप यदि ऐसे लोगों से प्रभावित हो गये कि किसी ने निंदा करी और आप टूट गये तो फिर लोग आपको जीने ही न देंगे। मुखौटा लगाए सभ्य दिखने वाले लोग सच में बड़े ही क्रूर होते हैं। भड़ास परिवार से अधिक इस बात को और कौन समझ सकता है। भड़ास परिवार का एक मिशन मुखौटाधारियों का मुखौटा नोच कर असली चेहरा समाज के सामने लाना भी है। विनम्रता हमारी कमजोरी नही लगनी चाहिये इन दुष्टों को इस लिये हमारे डाक्ट्र रूपेश भी अक्सर सधुक्कड़ी भाषा का ही प्रयोग करते हैं। आप भी भड़ास को जीवन में जी लीजिये और इस पन्ने पर निकाल ही लीजिये ताकि दिल दिमाग हलका हो सके...
जय जय भड़ास
महेंद्र भाई,
नाराजगी उनसे ही होती है जिनसे प्यार होता है, मगर उसमें भी इमानदारी होनी चाहिए. हरभूषण भाई से सहमत और हाँ वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की सम्मिलित बधाई लीजिये.
जय जय भड़ास
भाईसाहब भड़ास का मंच अस्तित्त्व में इस लिये ही आ पाया कि हमें एक मिशन हाथ लगा है कि आदर्श व सिद्धांत मात्र दिखावे और चर्चाओं में न रहें बल्कि अमल में लाए जायें और यकीनन ये मार्ग सरल तो हरगिज़ नहीं है। संघर्ष करना है उनसे जो कि चाहते हैं कि हम भी मुखौटा लगा कर ही जिएं जैसे कि वे जीते हैं सभ्य और शालीन बन कर शराफ़त का मुखौटा लगाकर..... आप किसी दुष्ट के कुत्सित प्रयासों से घबराइयेगा मत....
जय जय भड़ास
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