पिछले कुछ महीनों से भड़ास पर अजीब सा माहौल चल रहा था। ये दौर था नक्कालों के चेहरे से नकाब उतरने के बाद होने वाले तमाशे का। पोक्केट के पिछले जेब में कई बैंकों का क्रेडिट कार्ड रखने की हसरत पलने वाले नाकारा लोगों से जब असली भडासियों की भड़ास नही झेली गई तो उन्होंने भाई लोगों की सदस्यता समाप्त कर दी। अच्छा हुआ जो ऐसे लोगों से पिंड छुटा। औरों की तो नही जानता लेकिन मैं बहुत खुस हुआ जब मेरे भाईसाहेब और रास्ता दिखने वाले गुरूजी जी की सदस्यता समाप्त हुई। क्यूंकि - कह कबीर कैसे निभे केर बेर को संग। इनको ये नही पता है की उन्होंने कितना महान काम किया है । आज भड़ास का पता देखकर अछ्च्छा लगा की चलो अब कुछ ऐसा हो गया जो नकलचियों को जरुर खटकेगा। भैय्या अपनी तो सुकून की नींद होने वाली है ..लेकिन बस आज रात तक..क्यूंकि हमें अपनी ऑंखें खुली रखनी है उनके लिए जिनकी आँखों पर परदा पड़ चुका है। हमें जागना है उनके लिए जिन्हें नशा देकर सोने की आदत डाली जा रही है। हमें सचेत रहना है , उनके लिए जिन्हें बात-बात पर बरगलाया जा रहा है। हमें आवाज बनानी है उनकी जिनकी आवाज को हमेशा उन्सुना कर दिया जाता है। जाहिर सी बात ये ऐसे लोग हैं जो हमारे देश की धड़कन हैं। वे किसान हैं , गरीब हैं, बेबुस और लाचार हैं। हम भड़ास को इनके नजदीक ले जायेंगे और चाहेंगे की ये भड़ास भारत की भड़ास बने। मैं अपील करता हूँ सभी ब्लॉग के पाठकों से , ब्लोगरों से की वे इस भड़ास को आम जनता की आस से जोडें तभी हमारा उद्देश्य कुछ हद पुरा होगा। ईमानदारी और सच्चाई से किया गया हर प्रयत्न अपनी मंजिल तक जरुर पहुचता है ऐसा मेरा विश्वास है....
अंत में रजनीश भाई को ह्रदय से साधुवाद देता हूँ ..भड़ास को भड़ास बनाने में।
जय भड़ास जय जय भड़ास
2 comments:
मनोज भाई आप यकीन मानिये कि भड़ास का सामाजिक संदर्भ रचनात्मक ही रहा है सदैव.... हमने इस वेब पन्ने पर कई बार क्रान्ति की लहर उठा दी थी लेकिन वणिक सोच के लोगों को ये बात पसंद नहीं आती थी वे मानते थे कि भड़ास क्रान्ति का मंच नहीं है पर हम सब मानते हैं कि यह एक रचनात्मक बदलाव का मंच अवश्य है। भाई मनीषराज ने संगीता झा के मामले को निर्णय तक ले जाने में भड़ास की ताकत का सही दिशा में प्रयोग करा था,ऐसे ही एक भाई ने एक बूढ़ी मां को उसके बिछुड़ गये बेटों से मिलवाया था....
शुभकामनाएं स्वीकारिये
जय जय भड़ास
भाई,
हमारे भड़ास कि सरंचना ही आम जन से जुड़ी हुई है, जिसे भड़ास को बेचना था वो बेच चुका. भड़ास के बहाने लोगों कि भावना बेचीं, सम्मान तक बेच दिया और ये ही वजह है कि हम भड़ास कि आत्मा ले कर यहाँ आ गए. हमारा मंच अहमरे सम्मिलित प्रयास से ही सार्थक होगा जिसमे वानिक, क्षद्मता, बाजारू लोग, के साथ चरित्रहीनों कि कोई जगह नही है,
हमारा ध्येय और लक्ष्य आम जन से जुदा हुआ है और हम सब का सम्मिलित प्रयास सार्थक रहेगा ये विश्वास.
जय जय भड़ास
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