भाई कय्यूम नइमी, प्रिंट मीडिया से जुड़े हैं लेकिन मैं इन्हें हम यारों के बीच में संत हज़रत खिज़र अलैस्सलाम जैसा मानता हूं जो कि रास्ता भूल गये लोगों को उनकी मंजिल पर पहुंचा देते हैं। अगर किसी पुराने दोस्त से मिलना हो या किसी पुराने यार का फोन नंबर चाहिये हो तो बस भाई साहब को बताइये तो जब तक जनाब उस दोस्त को आपसे मिलवा नहीं लेते इन्हें चैन नहीं आता। भाई के इसी अंदाज ने हम लोगों को इनका प्रशंसक बना रखा है। जियो कय्यूम भाई...... इसी तरह यारों को एक दूसरे से मिलवाते रहिये।
जय जय भड़ास
3 comments:
भाई नइमी! न आप मिलते और न ही हमारे पुराने परिचित दोबारा तकरीबन बीस साल बाद मिल पाते... आपका भड़ास की टीम की ओर से दिल से शुक्रिया।
भाई मैं आ रहा हूं आपसे मिलने गुलबूटे के कोने पर ही रहियेगा:)
जय जय भड़ास
डाक्टर साहब,
शुक्रिया कय्यूम भाई से रूबरू करवाने का, भाई का स्वागत है भड़ास परिवार में.
जय जय भड़ास
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