आज कई दिनों के बाद भड़ास पर आया हु ,
कई भाइयो और बहनों के लेख बड़ी ही सावधानी पूर्वक पढ़े ,
मन बड्डा ही व्यथित हो गया ,
क्या हमारा मन ,
हमारे विचार ,
हमारा सामाजिक नजरिया ,
हमारी सोच ,
हमारा पारस्परिक विश्वाश ,
हमारा भाई चारा ,
हमारी भाषा
इतने निम्न स्तर पर पहुच गई है
की हम सभी सिर्फ़ और सिर्फ़
अपने मन मे आने वाले अपशब्दों को
इस प्यारे से जहा मे भड़ास के माद्यम से निकल देते है /
नही दोस्तों आप सब इतने व्यथित न हो ,
अगर कोई भाई कोई गलती करता भी है
तो उस को प्यार से ही समझाना चाहिए ,
जो दुश्वारिया हमारे समाज मे धर्मो को ले कर है
उस के लिए हमारे सम्पूर्ण राज तंत्र (गया लोकतंत्र नही ) मे एक खुली बहश के अनुरूप होनी चाहिये
फरहीन नाज जी
आप की बदूलत आज येबन्दा जान पाया है
की इस सरे जहा मे और भी चेमिकल है
हमारी जानकारी के आलावा ,
धन्यवाद ,
परन्तु आप नए इस की खोज कहा से की ,
किर्पया इस पर भी रोशनी जरूर डाले ,
रही बात हम मे बैठे जयचंदों की ,
वो तो हर युग मे मौजूद थे ,
है ,
और मौजूद रहेगे ,
जो मानवता की नही सिर्फ़ एक अमानवीय स्थिति को ही सही कहेगे /
मंत्र साहब
आप की वाणी से लगता है
इस समय सभी के मन मे सोया हुआ देश प्रेम बोल रहा है ,
पर मित्र ,
क्या कुछ लोगो की सजा हम सरे समाज को दे दे ,
क्या आप को याद है भारत पाक युद्ध मे परमवीर चाकर एक मुस्लिम भाई हामिद को ही मिला था ,
दोस्त समस्या मुस्लिम होना नही है ,
समस्या है उन का मानसिक विकास करना ,
आज सरे मुस्लिम भाई अपने मजहब की आची बातो को न अपना कर कुछ मौका परस्त लोगो द्वारा दिए गए नए मजहबी जानूं का शिकार हो रहे है
मेरी भी बस इतनी ही भड़ास आज भड़ास पर
3 comments:
गजब है भाई, एकदम सही रास्ते पर कोई मचमच नहीं है कोई किचकिच नहीं है...
भाई चूतियम सल्फ़ेट नामक रसायन अपने डा.रूपेश श्रीवास्तव की खोज है वे कहते हैं कि ये सिर्फ़ उन्हीं लोगों की हड्डियों में पाया जाता है जिनमें रीढ़ है और सिर उठा कर ईमानदारी से खड़े होते हैं गलतियों को स्वीकारने में झिझकते नहीं हैं इसी लिये आप इस रसायन को भड़ासियों की हड्डियों में पा सकते हैं। आपने पिछली तमाम पोस्ट्स समेट ली हैं, अच्छा लगा।
जय जय भड़ास
अरे मेरे भाई इतना ही काफ़ी है सोए हुओं की पलकें चीर कर जगा देने के लिये...
जय जय भड़ास
बहुत खूब लिखा है भाई वाकई अच्छा लगा....
जय जय भड़ास
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