सबसे पहले डाकयार्ड रोड(मुंबई) उपनगरीय स्टेशन पर मनीषा दीदी
जल्दी चलो टैक्सी वाले भाई.....
हिंदी की "चंपक" और "नंदन" की तरह मशहूर उर्दू की मासिक "गुलबूटे" के कोने में मिले श्री कासिम इमाम साहब जो कि टाइम्स ग्रुप के वरिष्ट पत्रकार और उर्दू के जाने-माने कवि तथा साहित्यकार हैं। बांए से दांये : श्री कासिम इमाम, मुनव्वर सुल्ताना और मनीषा नारायण
बिना मेरे ये गैंग कैसे पूरी हो सकती है तो हम भी हैं संग में अलिफ़ और दाल के बीच हिंदी समझते..
हर तरफ़ जय जय भड़ास
2 comments:
डाक्टर साहब आज मैं जा रहा हूं पुस्तक मेले में..
डाक्टर साहब,
मजा आ गया तस्वीरों से वापस लगा की मैं अपने परिवार के बीच हूँ, दीदी का स्नेह और आपा का मातृत्व याद आ गया. भाई कासिम इमाम का भड़ास परिवार में स्वागत है और आपका आभार भी की परिवार के इस अमूल्य तस्वीर को बाकि लोगों से साझा किया.
जय जय भड़ास
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