राजस्थान में चल रहे आंदोलन के कारण हम सभी अनूप मंडल के लोग काफ़ी व्यस्त रहे और उस कारण भड़ास पर अपनी उपस्थिति नहीं दर्शा सके। एक बात तो हमने पायी कि हमारे प्रयासों से अमित जैन जैसे राक्षस अब भड़ास पर से भागते से नजर आ रहे हैं वरना जब देखो तब भरमाए रहने के लिये मूर्ख समझ कर कभी चुटकुले लिखता रहता था और कभी किसी का लिखा हुआ टीप कर भड़ास पर डाल देता था। प्रो.मटुक नाथ भी इस बीच भड़ास पर दिखे लेकिन बस अपने बचाव में अपने कार्यों की पैरवी करते ही नजर आते हैं। भूलियेगा मत कि इन्हें इस तरह की कुबुद्धि देने वाला स्वयंभू भगवान रजनीश भी जैन राक्षस ही था जिसकी तस्वीर इन्होंने अपने ब्लाग पर सजा रखी है। इससे सिद्ध होता है कि विचारों में इनकी कोई मौलिकता नहीं है बल्कि रजनीश द्वारा भ्रष्ट करी बुद्धि का परिणाम है।
आदरणीय भाई रणधीर ’सुमन’ जी का विशेष प्रेम हमें ऊर्जा देता रहता है।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
4 comments:
good
सत्य है भाई वरना अमित कभी भी कुछ न कुछ लिखते-टीपते ही रहते थे। मटुकनाथ और जूली प्रकरण में अब वे जीवन भर दूसरों को भौंकने वाले कुत्ते और खुद को हाथी समझने के भ्रम में रहने वाले हैं। जो इनके जैसी बोले इनकी तौले तो भला वरना कुत्ता.... है न मटुक नाथ जी? अब कहेंगे कि तुम्हारी सहमति-असहमति के क्या फर्क पड़ेगा वगैरह...। रजनीश ने प्रेम के कवर में डाल कर जिस तरह से वासना का नंगनाच करने का कुत्सित प्रयास करा था। वही उसकी कुत्ते जैसी मौत का कारण बना। कहते नहीं थकते हैं कि उसे अमेरिका में "थैलियम" नामक रेडियोएक्टिव जहर दिया गया था लेकिन ये तो पर्दा है उसके करतूतों पर उसे जबरन भगवान बनाने और दुनिया को भ्रमित करने का, वो मरा एड्स से। ये सारे कथित सन्यासी मौत से नहीं डरते लेकिन एड्स से इनकी फटती है। क्यों भाई? रजनीश की छवि को किसी कांडोम कंपनी के लिये बेच दो वही तो था जिसने बिना सामने आए इसका कसकर ऎडवर्टाइज करा है। सचमुच हद है दुष्टता की....
जय जय भड़ास
आप लोग जो भी लिखते हैं वो एक विवादास्पद विषय है लेकिन सहमति-असहमति के लिये परेशान न हुआ करें जो दिल-दिमाग में है उसे निकाल लिया करें।
सुमन भाईसाहब ने आज गुड लिखा है नाइस नहीं। शायद भाईसाहब समझ गये कि वे इस तरह की उल्टियों पर जिस दवा को बताते हैं वह उल्टी की नहीं बल्कि बुखार की दवा है।(Nice एक निमैसुलाइड आधारित बुखार की ब्रांडेड दवा है)
जय जय भड़ास
क्या बात है ,
हमारे आने से भी नाराज ,
हमारे जाने से भी नाराज ,
आप की बीमारी का मै क्या करू ,
वो तो है लाइलाज ..........
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