आदरणीय सुमन भाई की भेजी हुई जनसामान्य के संघर्ष के प्रति समर्पित
लोकसंघर्ष पत्रिका प्राप्त हुई। छपाई से लेकर आलेख संयोजन तक सभी कुछ बेहतरीन है। आवरण पर छपा व्यंगचित्र तो तमाचा मार कर सत्य बताता हुआ है लेकिन ढीठ लोग इन तमाचों से आंखे खोल कर देखते तक नहीं, इनकी आंखे खोलने के लिये तमाचे बेकार हो गये हैं इनकी तो पलकें ही चीर देनी पड़ेंगी तभी आम जन की व्यथा देख सकेंगे ये कुम्भकर्ण के सगे संबंधी। लोकसंघर्ष की पूरी टीम बेहद सुगठित है। चाहुंगा कि इस जनाआंदोलन की चिन्गारियां सारे देश में फैलें, महाराष्ट्र में लाने के योग्य यदि आप समझें तो मैं सिर झुका कर समर्पित हूं।
लोकसंघर्ष चिट्ठे का पता प्रमादवश गलत हो गया था इसके लिये क्षमा करियेगा, गलती सुधार दी गयी है। अब चूहे से आपके चित्र पर कटवाने(माउस क्लिक करने) से वो आपको सही जगह तक ले जा रहा है।
जय लोकसंघर्ष
जय जय भड़ास
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