प्रेस क्लब चुनाव परिणाम, जारी रहेगा पुराना अड्डा और ठिकाना .
प्रेस क्लब चुनाव २००९ का चुनाव परिणाम आ गया, पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ और उनके पैनल ने क्लब पर कब्जा बरकरार रखा।
चुनाव पूर्व इस पुराने पैनल पर ढेरो आरोप लगे, मामला कोर्ट तक गया। पत्रकारों में इस पैनल के लिए असहमति थी, गाहे बगाहे अधिकतर पत्रकारों ने इस पैनल की मुखालफत की थी। अखबार से लेकर वेब के पन्ने तक इस पैनल के कुकृतियों को उजागर करने में लगे हुए थे, लग रहा था मानो इस बार प्रेस क्लब में परिवर्तन की बयार बहेगी, चुनाव परिणाम आए और सारी ख़बरों पर विराम लगा गए।
चुनाव परिणाम के बाद एक बात तो स्पष्ट हो गयी है की पत्रकारिता और राजनीति मौसेरे नही बल्की सगे भाई हैं, क्षद्म रूप, क्षद्म व्यक्तित्वा और क्षद्म बयाँ यानी की पत्रकारिता और राजनीति। दोनों एक दुसरे से अलग कैसे हो सकता है ?
हालाँकि चुनाव अधिकारियों ने भी इस पुराने पैनल के लिए एजेंट की तरह काम किया। ठीक छठ के दिन मतदान जब बिहार उत्तर प्रदेश और झारखंड के अधिकतर लोग अपने अपने गृह प्रदेश में होते हैं के दिन होना कहीं न कहीं एक साजिश का हिस्सा लगता है।
आम धारणा की प्रेस क्लब सिर्फ़ दारुबाजों का अड्डा है अगले साल तक जारी रहेगी, विवाद और घोटालो का साथ इस साल भी क्लब के हिस्से में आयेंगे।
हम तो शुभकामना देंगे नए पैनल को की अपने पुराने छवि को बदलने में कामयाब हों और प्रेस क्लब को पत्रकारिता के लिए एक मानक बनायें।
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3 comments:
हम तो शुभकामना देंगे नए पैनल को की अपने पुराने छवि को बदलने में कामयाब हों और प्रेस क्लब को पत्रकारिता के लिए एक मानक बनायें।
Bahut achhi jankari, पत्रकारिता के लिए एक मानक jaruri.
Badhai
रजनीश भाई हम भी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि प्रेस किसी प्रेशर में न रहे। मानक-मानक का खेल शुरू हुआ या नहीं...???
जय जय भड़ास
डाक्टर साहब,
ऐसे जितने भी क्लब हैं वो वस्तुतः प्रेसर के करण ही बनते हैं उन्ही में से एक है ये क्लब भी जिसका पत्रकारिता से दूर दूर तक का कोई सरोकार नहीं अपितु भ्रष्ट पत्रकारिता का वो कॉलेज है जहाँ सिर्फ भ्रष्ट शिक्षक विराजमान हैं.
जय जय भड़ास
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