आखिरकार "साइंटिस्ट" मुनीर खान लपेट में आ ही गये



आपमें से कई लोग हो सकता है इन स्वयंभू साइंटिस्ट महोदय से परिचित होंगे। इन महाशय के घंटों चलने वाले इश्तहारी इंटरव्यू नुमा कार्यक्रम आपने तमाम बिकाऊ टीवी चैनलों पर देखे होंगे। ये एक जादू भरी दवा की खोज का दावा करते थे जिससे कि सारे रोग ठीक हो जाते हैं। इस दवा का न्यूनतम मूल्य पंद्रह हजार रुपए होता है। मेरी जानकारी में इस दुष्ट की दवा से न जाने कितने लोग मर चुके थे क्योंकि ये उनको बिना किसी परीक्षण के सारी दवाएं बंद करा कर अपनी दवा चालू कर देता था। सीधी सी बात है कि जो मर जाता है उसके परिवार वाले कानूनी पचड़ों में पड़ने की बजाए अपने भाग्य को कोसते हुए सब भुला देते हैं। पहले ये आदमी अपने नाम के आगे डाक्टर लगाया करता था। भड़ास इस नराधम के पीछे पिछले दो साल से लगा था कि कब और कैसे इस दुष्ट को बेनकाब करके इसका राक्षसी चेहरा जनता को दिखाया जाए। मेहनत आखिरकार रंग लायी है FDA ने अंततः भड़ास के लगातार डंडा करे रहने के कारण इस पर तमाम जांच आदि करायी जिससे कि इसकी औषधि की पोल खुली कि इस Body Revive नाम की दवा में कोई ऐसा विशेष गुण नहीं है कि वह कैंसर, टी.बी.म दिल के रोग आदि जादुई असर से दूर कर सके। अब तक ये आदमी करोड़ों नहीं अरबों रुपया छाप चुका है। अब देखना है कि क्या अपना सिस्टम इसे बेकुसूरो की जान लेने का दोषी मान कर सजा देता है या नहीं? अभी हाल ही में मेरी एक धर्म बहन इसकी इसी जादुई दवा के चक्कर में जान गंवा चुकी है उस बेचारी को डायबिटीज था और इस चांडाल ने उनकी सारी दवाएं बंद करा दी और अपनी पानीछाप दवा जारी करने को कहा, नतीजा ये हुआ कि उस गरीब की शुगर इतनी बढ़ गयी कि वह कोमा में चली गयी और उसी हालत में उनका स्वर्गवास हो गया। इस पापी को इसके करे की कितनी सजा मिलेगी ये तो नहीं पता लेकिन इसपर भड़ास का ग्रहण लग चुका है अब इसका पतन निश्चित है।
जय जय भड़ास

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