संजय सेन(व्योम श्रीवास्तव) फ़र्जीपन पर जोरदार जूता


केंचुए जैसे रीढ़विहीन निर्लज्ज संजय सेन जो कि व्योम श्रीवास्तव बना हुआ है उसने हिंदुस्तान के सिरदर्द नामक अपने ब्लाग पर एक पोस्ट डाली और तुरंत चिट्ठाजगत ने इसकी लंगोटी उतार दी

चिरकुट ने लिखा है कि वर्किंग वूमन की चाबी खराब होती है .....अब समझ में आया कि इसकी वर्किंग वूमन चाबियों से चलती हैं जो कि चाबी इस भड़वे के पास हैं। ढक्कन की पैदाइश लिखता है कि लंदन में हुए सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर पोस्ट लिखी थी वो भी दैनिक भास्कर से मार कर....। इसकी हड्डियां वाकई कैल्शियम फास्फेट की न होकर चूतियम सल्फ़ेट की बनी हैं। ये नहीं बताया कि इसकी जो वर्किंग वूमन हैं वो काम तो हिंदुस्तान में करती हैं लेकिन हैं विदेशी गोरी चमड़ी वाली... ज्यादा दलाली मिल जाती होगी न... कमीना भड़वा कहीं का....।
नीच ने ये नहीं लिखा कि इस फ़र्जी आई.डी.की सदस्यता इसने हिंदुस्तान के सिरदर्द से क्यों खत्म करी है???? खुद साले ने ब्लाग को लाल बत्ती एरिया बना रखा है और मंदिर जाने के उपदेश दे रहा है दल्ला भड़वा.....


भड़ासी भाई अम्बरीश अग्निहोत्री ने कसकर रगेदा भड़वे को कि बेटा जलेबी और गू में अंतर तो दुनिया को दिख रहा है

सारे भड़ासी देख सकते हैं कि ये भड़वा खुद ही पोस्ट लिख रहा है और खुद ही कमेंट लिख रहा है। अबे औरतों की दलाली और ब्लागिंग में अंतर होता है तू कब समझेगा?? सुधर जा और अपना मूल काम करता रह वरना भड़ासी तुझे लंगोटी के लायक भी न रखेंगे।
जय जय भड़ास

2 comments:

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

मुनेन्द्र भाई बेकार ही ऐसे लोगों को प्रसिद्धि दिलवा रहे हैं यार..... सब जानते हैं इन की हरकतें ये इससे अधिक कर भी नहीं सकते आखिर रोजी-रोटी की बात है भाई....
जय जय भड़ास

अजय मोहन said...

मुनेन्द्र भाई डा.साहब बिलकुल सही कह रहे हैं हमें इन सुअरों को अपनी चर्चा में भी जगह नहीं देनी चाहिये
जय जय भड़ास

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