जाकिर हुसैन ने हमें फ़िर मुस्कुराने का मौका दिया ...

जाकिर हुसैन को पहली बार मैंने टेलीविजन पर देखा था जब पांचवी क्लाश का छात्र था । तबला बजाते हुए उनके बाल लहरा रहे थे । अब उनको ग्रैमी एवार्ड प्राप्त कराने पर वही पुराना दृश्य जेहन में उभर आया .....* हुसैन समकालीन विश्व संगीत आंदोलन के सूत्रधारों में एक माने जाते हैं। उन्होंने दुनिया के कुछ अग्रणी संगीतकारों के साथ मिलकर संगीत को जनसाधारण में लोकप्रिय बनाने का अभियान चलाया है......* उन्होंने तबला वादन को विश्व में एक नई पहचान दिलाई है। यह भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है ।* जाकिर हुसैन को यह एवार्ड 'ग्लोबल ड्रम' प्रॉजेक्ट के लिए मिकी हार्ट, सिकिरु अदिपोजु और गिओवानी हिडाल्गो के साथ मिला है ।* अपने तबले से स्वर निकालने के लिए अनेक देशों में बजाए जाने वाले ड्रमों की थापों को भी अपनाया है ।* उन्होंने रविशंकर से लेकर बिस्मिल्लाह खान और अमजद अली खान जैसे महान कलाकारों के साथ संगत की है।* उन्हें तबला वादन का प्रशिक्षण अपने पिता प्रसिद्ध तबलावादक उस्ताद अल्लरक्खा से मिला है ।* वह पद्मश्री और पद्मभूषण पाने वाले सबसे कम उम्र के वादक है ।इस उपलब्धि के सही अधिकारी उस्ताद साहब ही है .....अभी सफर जारी है , हम उम्मीद करते है की आगे भी वे भारत का नाम रौशन करते रहेगे ।

2 comments:

फ़रहीन नाज़ said...

मार्कण्डेय जी सुन्दर आलेख है हमें गर्व है अपने कलाकारों पर जो कि सभ्यता के विकास में हमें अग्रगण्य रखते हैं। चलिये एक शब्द छल करते हैं मजा आएगा गुस्साइयेगा मत....
भारत का नाम रौशन करते रहेगे ।
का मतलब है कि अब कला्कार लोग मिल कर भारत का नाम रोशन रख देंगे अब इसे अंग्रेजी में इंडिया कहना कठिन होगा :)
जय जय भड़ास

mark rai said...

shukriya, aapane comment kiya. isake liye aapaka aabhari hoon. gusse ka to sawaal hi nahi paida hota hai.

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