करोडो़ हिन्दू नींद से जागेगा तो क्या होगा

भारत की आन बान शान।
हिन्दु हिन्दी हिन्दुस्तान।
जो हमसे टकरायेगा वो ।
चूर-चूर हो जायेगा।
इक्के दुक्के कलाम से क्या होगा।
हमें हजारों आतंकवादी नहीं चाहिये।
तुम हजारों क्या लगभग सभी आतंकवादियों।
कि तुलना में एक प्रज्ञा ठाकुर का नाम लेकर।
हिन्दुओं को बदनाम नहीं कर सकते।
हमें मुसलिम गवारा नहीं।
हम काश्मीर पाकिस्तानियों को देने की बात कहने।
वालों को यु ही बरसायेगे जूते।
अगर राम जी का मन्दिर अयोध्या में नहीं।
बनेगा तो क्या मक्का मदीना में बनेग।
हर क्रिआ की प्रतिक्रिया है होती ये कहते हैं।
न्युटन भईया।
मुसलिम तुष्टीकरण की प्रतिक्रिया है ।
मुसलिमों भारत छोडो़ अभियान ।
साथ में ले जाओ अमर मुलायम ।
हमें कोई आपत्ती नहीं।
अब बहुत हुआ,अब हम टुष्टीकरण नहीं सहेंगे।
पाकिस्तान के मैच जीतने पर पटाका फोड़ने वाले।
पाकिस्तान में ही रहेंगे भारत में नहीं चलेंगे।
कार्टून पर हंगामा करने वाले नहीं चलेंगे।
अपने आप को सेक्युलर समझते हो तो समझो।
तुम सब के लिये मै अकेला ही काफी हूँ।
डरो उस दिन से जब करोडो़ हिन्दू नींद से जागेगा तो क्या होगा।
अमर रहेंगे न मुलायम न भडास न अरंधुति कि समर्थक वो (यहां प्रशांत जी ने एक गाली का प्रयोग करा था जो कि महिलाओं के लिए अत्यंत अपमानजनक थी और उनसे निवेदन करने पर भी उन्होंने हटाने की बजाए अपना दुराग्रह जारी रखा है इसलिए उस गाली को भड़ास से जुड़े सभी अंतर्देशीय व विदेशी विश्वबंधु-भगिनियों से जो कि आहत हुए हैं क्षमा प्रार्थना सहित हटा रहा हूं; इस बात पर आगे भी संपादन करा जाएगा कि यदि भड़ास के दर्शन के अनुसार उल्टी करके आपको मन हल्का करना भी है तो ध्यान रहे कि किसी के मुंह में उल्टी न करें जिससे कि वो आहत हो, प्रशांत जी ने जिस बहन को निशाना बनाया था मैं सारे भड़ास परिवार की ओर से उनसे बिना शर्त माफ़ी मांगता हूं) रहेगी।

10 comments:

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

प्रशांत जी क्या आप शिक्षकों वाली भाषा में "छिनाल" जैसे शब्द का प्रयोग उचित मानते हैं? यदि आप सही मानते हैं तो मुझे कम से कम इस गाली को हटाना होगा क्योंकि आप या तो इस गाली का अर्थ नहीं जानते हैं और यदि जानते हैं तो इस विषय पर तत्काल स्पष्टीकरण अगली पोस्ट में देते हुए माफ़ीनामा दीजिये। विचार विमर्श मे गालियां देना वो भी एक महिला को बिलकुल सहन करने योग्य नहीं है अब आप इसे महिलाओं का तुष्टीकरण माने या कुछ अलग। मंच पर आप एक मुद्दा लेकर आए हैं उसका स्वागत है लेकिन भाषा संयत रखने की गुजारिश है। अविलंब सुधार करिये।
जय जय भड़ास

prashant said...

भईया आखिर एक और कर्ण ने कृष्न को चक्र उथाने पर मजबूर कर दिया ।क्या आप ने पिछले कई पोस्ट नहीं पढे़ ,उसमें इससे भी बदतर भासा का इस्तेमाल किया गया है।तब आप प्रकट नहीं हुए?कर दिया ना दोगला पन।बस मै आप लोगो का यही मुखौटा सामने लाना चाहता था जिसमें मै कामयाब हुआ?अब मै जानता हूँ आप लोग कहेंगे अफजल गुरू तो ठीक है इसी प्रशांत को फासी पर लटका देना चाहिये।अफजल गुरू को लटकाया तो मुन्नवर आपा व अन्य नाराज हो जायेगी?जय जय भडा़स।

फ़रहीन नाज़ said...

प्रशांत भाई आप सचमुच सनकी हैं या कोई आपको इस काम के लिये पैसा दे रहा है क्योंकि आप इस काम में बड़ी ही तल्लीनता से लगे हैं आप बताते ही नहीं कि आपका राष्ट्रवाद क्या है किस हिंदू के हित की बात करने वाला देश पर राज्य करेगा?चार वर्ण हैं ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र... देश में तो शूद्रों के तुष्टीकरण के लिये भी आरक्षण का लालीपाप कई दशको से चटाया जा रहा है इस विषय से आप बच कर भागते हैं और महिलाओं को छिनाल जैसी गाली दे कर खुद को निहायत ही काबिल दर्शा रहे हैं कि देश की बातें कर सकें। आपकी सोच भी तालिबानी ही है महाशय... जरा छिनाल शब्द का अर्थ अपनी माताजी, बहन, भाभी या पत्नी से पूछियेगा। मुलायम सिंह अमर सिंह अरुंधति जैसे कितने लोग जो कथित तौर पर तुम्हारे लिये हिंदू हैं उनकी फ़ेहरिस्त बनाओ ताकि पता तो चले कि तुम्हारे देश में कौन रहेगा और कौन नहीं? शर्मिंदगी हो रही है कि तुम एक शिक्षक हो जो शब्द की अहमियत नहीं जानता। तुम दो और दो चार की भाषा जानते हो तुओ तुम्हें सीधे कहती हूं कि इस बयान पर तुम्हें कम से कम चार साल की सजा तो होगी और मैं इस मामले को राज्य महिला आयोग तक ले जाउंगी ताकि तुम्हारी अक्ल दुरुस्त कराई जा सके। परिवार से राय ले लेना इस विषय पर कि नौकरी जाने और सजा पाने के बाद क्या आय का कोई वैकल्पिक स्रोत है जिससे कि उनका पेट भर सके वरना वे नाहक ही तुम्हारे इस उन्माद के शिकार हो जाएंगे।
जय जय भड़ास

मुनव्वर सुल्ताना said...

एक बात के लिये आपको धन्यवाद करना है कि आप डा.रूपेश की तुलना किसी चिरकुट से नहीं बल्कि भगवान कृष्ण से कर रहे हैं। खुद को कर्ण मानने का मुगालता पाले हैं ये आपकी बीमारी है जो देर-सवेर दुरुस्त हो ही जाएगी। आप जिसे दोगला कह कर अपमानित कर रहे हैं या मुखौटा सामने लाने की बात कर रहे हैं उनमें कितना साहस है कि तुम उन्हें विचलित कर ही न पाए उन्होंने तुम्हारी किसी पोस्ट में कोई संपादन नहीं करा जबकि तुमने पूरे भड़ास के मंच को गाली दे डाली अपनी पिछली एक पोस्ट में। डा.रूपेश नहीं बल्कि तुम मुखौटा लगाए हो जो कि मुझ पर आरोप लगा रहे हो कि आतंकवादियों को बचाने के लिये लिखती हूं। मैं डा.रूपेश और भाई रजनीश से निजी दरख्वास्त करती हूं कि इनकी सदस्यता हरगिज न रद्द करी जाए बल्कि इनकी बीमारी और मुखौटा दोनो उतारा जाए क्योंकि धीरे-धीरे ये अपनी सही हकीकत में सामने आ रहे हैं जैसे छिनाल आदि गालियां विशेषण के तौर पर प्रयोग करना और डा.रूपेश जैसे व्यक्तित्त्व को दोगला कहना; जब इनका पब्लिक फ़ेस ये है तो घर में तो ये पत्नी पर कितने अत्याचार करते होंगे समझ सकती हूं कि ये कितने कुंठित आदमी हैं। मुझे अब जो शक था वह यकीन में बदल गया है कि तुम मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि भड़ास के मंच के विरोधी हो और तुम्हें यशवंत जैसे किसी मक्कार ने भेजा है कि वहां जाकर उपद्रव करो क्योंकि अब तुमने डा.रूपेश पर आरोप लगाना शुरू करके अपनी मंशा की सच्चाई जाहिर कर दी है। ये मंच हमेशा खुला रहेगा तुम्हारे जैसों के लिए भी वरना अगर जरा ही तानाशाही होती तो एक क्लिक पर सायबर स्पेस में गायब हो जाते चिल्लाते रहते बांसगांव में कोई न सुनता लेकिन मंच पर खड़े होकर आयोजक को ही गाली देना तो बस यहीं संभव है किसी दूसरे कम्युनिटी ब्लाग पर जाकर ऐसा करके देखो एक मिनट में औकात पता चल जाएगी। और क्या फ़ांसी-फ़ांसी करके खुद को बड़ा बताने का नाकामयाब कोशिश कर रहे हो तुमने ऐसा करा ही क्या है जो तुम्हे फ़ांसी होगी? हां चार साल की सजा का प्राविधान है जो संविधान निर्माताओं ने रखा है किसी फ़ंडू सेक्युलरिस्ट ने नहीं अगर दम है तो उन्हें गाली दे कर दिखाओ तब पता चलेगा कि अगर डा.रूपेश दोगले हैं उनके दो बाप हैं तो तुम्हारे कितने बाप हैं।
तुम जब तक संयत भाषा में विचार रख रहे थे तब तक विमर्श की स्थिति है लेकिन तुम तो भड़ासियों को रीढ़विहीन समझ रहे हो तो जरा सामने आओ ताकि तुम्हें बताया जाए कि तुम्हारी अराजक बातों का संवैधानिक क्या उत्तर है? माडरेटर्स इनकी पोस्ट्स पर नजर रखें निवेदन है लेकिन कोई संपादन न करें ताकि अगर कोई कानूनी डंडा चले तो वह इन्हें ही भोगना पड़े। भारतमाता की जय लिखते हो और औरतों को गाली देते हो तो पता चलता है कि कितने बड़े देशभक्त हो
जय जय भड़ास

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा said...

एक बात की खुशी है कि अब इनके बांस वाले गांव में बिजली की समस्या नहीं है साथ ही इंटरनेट भी बराबर चल रहा है।
इनके और यशवंत सिंह जैसे लोगों के कुत्सित प्रयासों से अगर डा.रूपेश श्रीवास्तव का व्यक्तित्व प्रभावित होने लगे तो फिर वो डा.रूपेश हो ही न पाते सच तो ये हैं कि इन्हें हमारे भाई के बारे में कुछ पता ही नहीं है इस लिए आवेश में आकर कुछ भी लिख देते हैं बीमार हैं न....। लेकिन छिनाल जैसी गाली एक शिक्षक के विचार विमर्श में सही नहीं है। बाकी उनकी मरजी वरना अभी मेरी लैंगिक विकलांगता को निशाना बना कर कसीदे पढ़ने लगेंगे। ये मत सोचना कि मैं अगर लिखती कम हूं तो भड़ास पर पढ़ती नहीं हूं डा.रूपेश ने जिन बच्चों को अपना नाम एक पिता की हैसियत से दिया है जिन्हें मात्र लैंगिक विकलांगता के चलते उनके बायोलाजिकल परिवार तक ने नकार दिया है वो सब पढ़ते हैं आपने उन सबको आहत करा है। दोनो बातों के लिये क्षमा मांगना चाहिये।
जय जय भड़ास

भूमिका रूपेश said...

दुष्ट और अधम हो तुम.....
हमारे पिता के बारे में जिस तरह से लिख रहे हो या महिलाओं को छिनाल कहने का अपराध कर रहे हो उसके लिये तुमें फांसी नहीं चढ़ाया जाएगा बल्कि भड़ास के मंच पर तुम्हारा देशभक्ति का जो मुखौटा तुमने चढ़ा रखा है उसे नोच कर नंगा करा जाएगा ताकि औरतों को गाली देने वाले की मर्दानगी पता चल जाए सबको। देशभक्ति का मुखौटा लगा कर तुझे क्या लगता है कि तू भड़ासियों के मुखौटा नोचने के मुहिम से बच जाएगा। अगर दम है तो फ़रहीन से लेकर हरभूषण भाई तक की बातों का जवाब देता क्यों नहीं? हम तो शरीर से हिजड़े हैं तू आत्मा से हिजड़ा है।
जय जय भड़ास

मोहम्मद उमर रफ़ाई said...

बस इतना ही कहना है कि इस आदमी के लिये हिंदू-मुसलमान या देश तो मात्र बहाना भर है असल में इसका निशाना भड़ास का लोकतांत्रिक मंच है लोकतंत्र के असली दुश्मन ऐसे ही लोग हैं
जय जय भड़ास

चंदन श्रीवास्तव said...

पहले तो प्रशांत भाई पुराणों का ज्ञान रखो, कृष्ण ने कर्ण से खिलाफ नहीं भीष्म के खिलाफ शास्त्र उठाया था वही भीष्म जो भरी सभा में अपनी पौत्रवधु को नंगा होते देख रहे थे. तो अगर आप अपने लिए भीष्म का तमगा ले रहे हैं तो मुझे बड़ा अफ़सोस है आप पर. खैर मुद्दे पर आते हैं आप रुपेश भईया के बारे में जानते कितना हैं? मेरे ख्याल से उन्हें जानिए जब आप उन्हें जान लेंगे तो मुझे यकीं है आप अपने काहे कि माफ़ी मांगेंगे नहीं मांगते हैं तो इतना पक्का है कि आप स्वयं रीढविहीन हैं. बाकी आपका इलाज जारी है. मेरी सभी से दरख्वास्त है कि प्रशांत की सदस्यता न ख़त्म की जाय. जय जय भड़ास

अजय मोहन said...

चंदन भाई ये आदमी हिंदू है या नहीं जिसे अपनी ही माइथोलाजी की शून्य जानकारी तक नहीं हैं बेवकूफ़ कर्ण और भीष्म में हो सकता है अंतर ही न मानता हो अब इसी बात पर जिद्दिया जाएगा कि नहीं ये दोनो नाम एक ही पात्र के हैं। ये आदमी अगर ड.रूपेश का सहस्त्रांश भी हो जाए तो आदरणीय़ हो जाएगा, उन्हें गाली देता है केंचुआ....
जय जय भड़ास

सलीम ख़ान said...

भई ! यही तो मुसीबत है और सबसे बड़ी समस्या कि देश का हिन्दू जाग नहीं रहा! काश! काश अगर जाग जाता तो बात ही क्या थी!

जनाब, जाग जाईये, जाग जाईये और अपनी खुली आँखों से देखिये, अपने खुले दिमाग से सोचिये | क्या हिन्दू मुस्लिम अलग अलग हैं, नहीं अलग नहीं हैं| सब एक ही हैं, यकीन नहीं तो वेद और कुरान का अध्ययन सकारात्मक तरीके से करें तो पाएंगे कि दोनों एक ही बात कहते हैं, वेदों में जिस कल्कि अवतार की भविष्यवाणी की गई थी वो आज से १४३० साल पहले ही पूरी हो चुकी है|

पढिये वेद, भविष्यपुराण, उपनिषद आदि पुस्तकें, कुरान के साथ उसको पढें सब सच पता चल जायेगा |

अरे ! ये नेता ही आतंकवादी है, जिनके बहकावे में हिन्दू और मुस्लिम आते हैं और देश में अपने ही लोगों पर बम फोड़ कर अपने ही लोगों का खून बहते है| कोई प्रज्ञा ठाकुर या अफज़ल क्यूँ बनता है? इन नेताओं की वजह से | इनका तो नार्को टेस्ट होना चाहिए, जिससे पता चल सके कि वाकई ये देश और जनता की सेवा करेंगे या अपने लिए मेवा तैयार करेंगे|
क्या ज़रुरत थी शांत फैज़ाबाद में बवाल मचाने की| क्यूँ अपने ही भाइयों को ठेस पहुँचाया गया| क्यूँ? क्यूँ? ख़ैर! चलो ग़लती हो गई, ग़लती अपनों से ही हुई | और हर ग़लती की मुआफी है, मुआफ कर दिया, नेताओं को नहीं बल्कि उस जनता को जो बहकावे में थी, कम-अज़-कम मैंने तो उन्हें मुआफ ही कर दिया | लेकिन भई ये क्या अब वहां कोई कह रहा है मैं फलां स्थली बनाऊंगा, कोई कह रहा है वहां वही बनेगा जो था| अमन छोडो यार! बना दो कोई पार्क, म्यूजियम वगैरह, कोई क्रिकेट मैदान, वगैरह | सब झगडा ही ख़त्म|

इन्सान का इन्सान से हो भाईचारा.....कितना सुहाना गीत है ज़रा गुनगुना कर तो देखिये!

छोडो सब कुछ, और पढो वो सब कुछ जो हितकारी है, आपके लिए हमारे लिए और सबके लिए|

रही बात गाली की, गाली के लिए प्रावधान ये है कि पहले मुआफी, अगर नहीं माना तो सजा !!!!!

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